लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   News Archives ›   India News Archives ›   Soon-received-financial-assistance-to-victims-of-road-accidents

सड़क हादसों के पीड़ितों को जल्द मिले सहायता

पीयूष पांडेय/नई दिल्ली Updated Fri, 01 Jun 2012 12:00 PM IST
Soon-received-financial-assistance-to-victims-of-road-accidents
कानून मंत्रालय सड़क दुर्घटना के पीड़ितों और उनके परिजनों को बीमा की आर्थिक सहायता तय समय में दिलाने की परिवहन मंत्रालय की सिफारिश पर सहमत है। लेकिन ऐसे मामलों को तेजी से निपटाने को विशेष अदालतें गठित करने की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया है क्योंकि मुद्दा यह है कि छह सौ विशेष अदालतें गठित करने का खर्च कौन उठाए, केंद्र या राज्य। वहीं परिवहन मंत्रालय अपने सहयोगी मंत्रालय के ग्रीन सिग्नल के इंतजार में इस मुद्दे पर दो साल से अधर में है।


परिवहन मंत्रालय ने मई, 2010 में कानून मंत्रालय से सिफारिश की थी कि सड़क हादसों के पीड़ितों और उनके परिजनों को बीमा की आर्थिक सहायता जल्द दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की तर्ज पर विशेष अदालतें गठित की जानी चाहिए।


तत्कालीन कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली को इस संबंध में परिवहन मंत्री कमलनाथ ने एक पत्र लिखा था, जिसमें विशेष अदालतें बनाने के लिए विस्तृत जानकारी और संबंधित प्रक्रिया पर रूपरेखा तैयार करने की गुजारिश की गई है। उस समय कानून मंत्री ने परिवहन मंत्रालय को हर संभव सहायता देने को कहा था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दुर्घटना पीड़ितों को बीमा की रकम जल्द मिले, इससे तो मंत्रालय सहमत है। लेकिन ऐसे मुद्दों के निपटारे के लिए छह सौ विशेष अदालतें गठित की जाएं, उस पर कोई सहमति अब तक सामने नहीं आई है।

मंत्रालय पहले से ही लंबित मामलों की फेहरिस्त को कम करने के लिए तमाम जुगत लगा रहा है जिसमें उसे कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई है। ऐसे में विशेष अदालतें गठित करने का खर्च और राज्यों से होने वाली नोकझोंक में मंत्रालय नहीं पड़ना चाहता। हालांकि परिवहन मंत्रालय ने इस मसले पर विशेष अदालतें गठित करने के लिए पूर्व जजों की सेवाएं लिए जाने को भी कहा था। लेकिन उस पर भी कानून मंत्रालय ने अभी तक कोई राय नहीं व्यक्त की है।

गौरतलब है कि 2008 में 4.8 लाख सड़क दुर्घटनाओं में एक लाख लोगों की मौत हुई थी। यानी प्रति मिनट में एक सड़क दुर्घटना और हर साढ़े चार मिनट में एक मौत। सर्वोच्च अदालत ने भी हाल ही में सड़क दुर्घटना के पीड़ितों और उनके परिजनों को जल्द और उचित मुआवजा दिए जाने को कहा था।
विज्ञापन

अदालत ने कहा था कि सरकार एक विशेष दुर्घटना कोष बनाए, जिससे तीसरे पक्ष के बीमा दावों और हिट एंड रन मामलों में पीड़ितों को मदद प्रदान की जाए। मालूम हो कि हिट एंड रन मामलों के पीड़ितों को कोई भी मुआवजा नहीं मिल पाता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

फॉन्ट साइज चुनने की सुविधा केवल
एप पर उपलब्ध है

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed