भारतीय वैज्ञानिकों ने दुनिया के तीन सौ वैज्ञानिकों के साथ मिलकर टमाटर के जीनोम को पहचानने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों ने टमाटर के उन 35000 जीन का पता लगाया है जो उसके रंग, स्वाद, आकार तथा बीमारियों से लड़ने की क्षमता को निर्धारित करते हैं। इसके आधार पर जल्द ही कृषि वैज्ञानिक अपनी जमीन व जरूरत के अनुसार टमाटर की किस्मों को विकसित कर सकेंगे। इस खोज की जानकारी बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सचिव एमके भान ने बृहस्पतिवार को दी।
भान ने बताया कि टमाटर के जीनोम को डिकोड करने के लिए 14 देशों के 300 से ज्यादा वैज्ञानिक वर्ष 2003 से काम कर रहे हैं। इसमें भारत के भी 24 वैज्ञानिक शामिल हैं। भारतीय वैज्ञानिकों का नेतृत्व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च, गुड़गांव के निदेशक डॉ. एके त्यागी कर रहे हैं। टमाटर के जीनोम को पहचान करने वाली भारतीय टीम में नेशनल सेंटर फॉर प्लांट बायोटेक्नोलॉजी तथा दिल्ली विश्वविद्यालय साउथ कैंपस के शिक्षक भी शामिल हैं।
डॉ. त्यागी के मुताबिक इस रिसर्च से जुड़े सभी वैज्ञानिक साल में एक बार आपस में मिलते थे तथा अपने-अपने रिसर्च के आंकड़ों को एक दूसरे से साझा करते थे। उन्होंने बताया कि टमाटर में कुल आठ हजार लाख वर्ण होते हैं। इनमें से ऐसे 35000 जीन की पहचान करने में सफलता मिली हैं जो टमाटर के रंग रूप व स्वाद आदि को तय करने में अपनी भूमिका निभाते हैं।
यद्यपि इस दिशा में कृषि वैज्ञानिक पहले से काम कर रहे थे लेकिन जीनोम में टमाटर के गुणों वाले जीन की पहचान न होने के कारण अच्छे किस्म के टमाटर के हाईब्रीड बनाने में कई कई साल लग जाते थे। अब यह काम तेजी से तथा ज्यादा विविधता भरा होगा।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व वैज्ञानिक धान तथा आलू के जीनोम का पूरी तरह खुलासा कर चुके हैं। डा. त्यागी ने बताया कि जल्द ही इस खोज के आधार पर कृषि वैज्ञानिकों के साथ मिलकर नई प्रजाति के टमाटर तैयार करने की दिशा में काम करेंगे।