टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन और लाइसेंस के मामले में दूरसंचार आयोग ने बृहस्पतिवार को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों पर चर्चा की लेकिन स्पेक्ट्रम की न्यूनतम कीमतों पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।
दूरसंचार सचिव आर चंद्रशेखर ने आयोग की बैठक के बाद बताया कि आयोग टू जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में एक के बजाय दो से अधिक स्लॉट रखने के पक्ष में है। आयोग हर दूरसंचार सर्किल में कम से कम 10 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी करना चाहता है जबकि ट्राई ने पांच मेगाहर्ट्ज की सिफारिश की थी।
आयोग ने स्पेक्ट्रम आवंटन के संबंध में ट्राई की सिफारिशों के अलावा उनसे पड़ने वाले असर पर भी विचार विमर्श किया। उसने इस बात से सहमति जताई कि भविष्य में किसी भी स्पेक्ट्रम का किसी भी तरह की दूरसंचार सेवा के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति होनी चाहिए।
आयोग ने यह भी कहा है कि दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए सेवा शुरू करने के वर्तमान दायित्व को बनाए रखा जाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार ढांचागत सुविधाओं का विकास स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल शुल्क के माध्यम से किया जाना चाहिए। आयोग ने नीलामी की न्यूनतम बोली पर कोई निर्णय नहीं लिया। इस पर जल्द ही अगली बैठक में फैसला किया जाएगा।
ट्राई ने 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम नीलामी की न्यूनतम बोली 7244 करोड़ रुपये तथा 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में 3622 करोड़ रुपये तय की थी। यह राशि वर्ष 2008 में स्पेक्ट्रम तथा लाइसेंस शुल्क की तुलना में 10 गुना अधिक है। उस समय लाइसेंस के साथ 4.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम निशुल्क दिया गया था।
स्पेक्ट्रम की कीमतों को लेकर ट्राई की सिफारिशों का दूरसंचार कंपनियां कड़ा विरोध कर रही है और उनका कहना है कि इससे लागू किए जाने पर काल दरें करीब दो गुनी हो जाएगी और इसका उपभोक्ता पर भार पडे़गा। उच्चतम न्यायालय ने गत फरवरी में अपने एक फैसले में 2008 में आवंटित 122 टू जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द कर दिए थे और ट्राई को स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए दिशानिर्देश तय करने को कहा था।