उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देते हुए उनकी बीमा कवर राशि को चार लाख रुपये बढ़ाकर पांच लाख कर दिया है। बुधवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए।
इनमें उत्तर प्रदेश महिला कल्याण निगम के कर्मियों को भी छठे वेतनमान का लाभ, राजस्व अदालतों का कंप्यूटरीकरण के अलावा 2005 में सपा शासनकाल में पुलिस भर्ती में तत्कालीन बसपा सरकार की ओर से 2009 में दायर दो स्पेशल लीव पीटिशन (एसएलपी) सुप्रीम कोर्ट से वापस लेने का निर्णय शामिल है। साथ ही मायाराज की महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना का नाम बदलकर रानी लक्ष्मीबाई पेंशन योजना कर दिया गया है। योजना का बाकी स्वरूप पहले जैसा ही रहेगा।
किसानों के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के तहत अब बीमा कवर एक लाख रुपये के बजाए पांच लाख रुपये किया जाएगा। इसमें 12 साल से लेकर 70 साल तक के वे किसान शामिल हैं, जिनके नाम खतौनी में खातेदार या सहखातेदार के रूप में शामिल हैं। यह बीमा राशि काम के दौरान किसानों के किसी दुर्घटना में मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को मिलती है।
अगर किसी दुर्घटना जैसे बिजली का करेंट लगने, बिजली गिरने, सांप काटने, डूबनेया अथवा अन्य दुर्घटना में किसान की मृत्यु होगी तो उसके परिवार को पांच लाख रुपये की बीमा राशि मिलेगी। पिछली मुलायम सरकार ने यह योजना शुरू की थी। इसमें बीमा राशि के प्रीमियम की राशि राज्य सरकार खर्च करती है।
महिला कल्याण निगम को भी छठा वेतनमान
कैबिनेट ने उप्र महिला कल्याण निगम के कर्मचारियों को छठा वेतनमान का लाभ देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत इन्हें मकान किराया एवं नगर प्रतिकर भत्ते राज्य कर्मियों के अनुरूप दिए जाएंगे। इस पर आने वाला खर्च निगम अपने संसाधनों से वहन करेगा। प्रदेश सरकार निगम को कोई वित्तीय सहायता नहीं देगी।
राजस्व अदालतों का होगा कंप्यूटरीकरण
प्रदेश के विभिन्न राजस्व न्यायालयों के कंप्यूटीकरण, कंप्यूटर केंद्र के सुदृढ़ीकरण, आधुनिकीकरण, अनुरक्षण एवं संचालन का कार्य तहसील कंप्यूटर केंद्र से मिलने वाले शुल्क राशि से होगा। अभी तक इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके लिए उप्र अधिकारों का अभिलेख कंप्यूटरीकरण तृतीय संशोधन नियमावली 2012 को मंजूर कर लिया गया। असल में, खतौनियों के कंप्यूटरीकरण सुविधा के लिए तहसील कंप्यूटर केंद्र को जो राशि मिलती है उसका अभी तक उपयोग इस कार्य में नहीं हो पाता था।