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इज्जत टिकट परियोजना को लेकर रेलमंत्री सदन में बेआबरू

नई दिल्ली/अमर उजाला ब्यूरो Updated Fri, 18 May 2012 12:00 PM IST
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बजट में प्रस्तावित और सदन में कई दफा घोषणा के बाद भी लंबित परियोजनाओं को पूरा करने में रेल मंत्रालय नाकाम तो रहा ही है। अब पुरानी चल रही परियोजनाओं के कायदे-कानूनों में भी रेलमंत्री गुपचुप रूप से परिवर्तन कर रहे हैं। तीन वर्ष पूर्व शुरू की गई इज्जत परियोजना भी उनमें से एक है। यह परियोजना सभी सांसदों को दी गई थी। मगर कुछ महीने पहले ही बिना किसी पूर्व जानकारी के सांसदों को इस परियोजना से हटा दिया गया है।


वृहस्पतिवार को कांग्रेस सांसद दीपा दास मुंशी ने लोकसभा में अपने एक प्रश्न के दौरान इस मामले को उठाते हुए बताया कि हाल ही में रेलमंत्री ने गुपचुप रूप से सांसदों की इज्जत को नष्ट कर दिया है। वर्ष 2009 में इज्जत परियोजना शुरू की गई थी। इससे सभी सांसदों को जोड़ा गया था। सांसदों को इस परियोजना के लिए सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था। मगर अब सांसदों के पास यह अधिकार नहीं है। क्योंकि रेल मंत्री ने इस परियोजना से सांसदों को अलग कर विधायकों के हाथ में दे दिया है।


हालांकि रेलमंत्री मुकुल रॉय ने इसका खंडन करते हुए कहा कि मंत्रालय ने न ही इस परियोजना को समाप्त किया है और न ही इससे सांसदों को अलग किया है। इस पर पक्ष-विपक्ष और सरकार के सहयोगी दलों के सांसदों ने खड़े होकर रेलमंत्री की बात को झूठ करार देते हुए हंगामा शुरू कर दिया। रॉय ने स्पष्ट किया कि यह सही है कि इस परियोजना से विधायकों को जोड़ा गया है। मगर उसकी समयसीमा एक महीने है जबकि सांसदों के पास एक वर्ष का अधिकार है जो कि अभी भी कायम है।
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