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तेल कंपनियों की सरकार से गुहार, घाटे से बचाओ हमें

Market Updated Mon, 04 Jun 2012 12:00 PM IST
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देश की तीन सरकारी तेल कंपनियों ने कहा है कि रियायती दर पर डीजल, केरोसिन तेल एवं रसोई गैस की बिक्री करने के कारण वे 'गहरे वित्तीय दबाव' में हैं और अगर सरकार ने सहायता नहीं दी होती तो उनका संयुक्त घाटा 132000 करोड़ रुपये पहुंच गया होता। तेल कंपनियां पिछले महीने पेट्रोल मूल्यों में अप्रत्याशित वृद्धि करने के बाद आलोचना का केंद्र बन गई हैं।


इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के प्रबंध निदेशक एवं अध्यक्षों ने रविवार को संयुक्त बयान में कहा, 'कुछ जगह गलत सूचना फैलाई जा रही हैं कि 2011-12 के दौरान तेल कंपनियों को रिकार्ड मुनाफा हुआ है। जबकि इसके उलट तेल कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है।'


बयान में कहा गया कि तेल कंपनियों को यह नुकसान डीजल, किरोसीन तेल एवं रसोई गैस अत्यधिक रियायती दर पर बेचने के कारण हुआ है।

तीनों कंपनियों को सरकार द्वारा 83500 करोड़ रुपये और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, आयल इंडिया लिमिटेड एवं गेल द्वारा 55000 करोड़ रुपये की सहायता देने के कारण सामान्य मुनाफा हुआ है। तीनों कंपनियों के प्रमुखों ने कहा, 'यदि यह सहायता नहीं मिली होती तो तीनों कंपनियों को 132000 करोड़ रुपये का कुल घाटा हुआ होता।'

वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान तीनों कंपनियों का संयुक्त वार्षिक कारोबार 833000 करोड़ रुपये था। समीक्षाधीन अवधि में तीनों कंपनियों ने अपना संयुक्त मुनाफा 6177 करोड़ रुपये घोषित किया था। बयान में कहा गया कि कंपनियों को भविष्य चुनौतियों का सामने करने के लिहाज से यह मुनाफा पर्याप्त नहीं है।

तीनों कंपनियों का संयुक्त ऋण मार्च 2011 के 97000 करोड़ रुपये की तुलना में मार्च 2012 तक बढ़कर 128000 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह तीनों कंपनियों की संयुक्त ब्याज देयताएं 2010-11 के 4700 करोड़ रुपये की तुलना में 2011-12 में बढ़कर 9500 करोड़ रुपये हो गया।
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