वैश्विक मंदी की दहशत और घरेलू बाजार की डांवांडोल स्थिति से विकास दर के अनुमानों में उलटफेर होने लगा है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में 9 फीसदी विकास दर का अनुमान जाहिर करने वाले योजना आयोग ने अब इसमें संशोधन कर 8 फीसदी विकास दर की संभावना जताई है। वैश्विक आर्थिक स्थिति का घरेलू बाजार पर असर जानने के लिए कई बैठक और विभिन्न क्षेत्र के जानकारों के साथ विचार-विमर्श कर चुके योजना आयोग को अगले पांच वर्षों में औसतन 9 फीसदी विकास दर हासिल करना संभव नहीं लग रहा है। इसलिए योजना मंत्री अश्विनी कुमार ने वर्ष 2012-17 के बीच 8 फीसदी विकास दर हासिल करने की संभावना जताई है।
चालू वित्त वर्ष में 7 फीसदी विकास का अनुमान
हालांकि चालू वित्त वर्ष के शुरुआत में योजना आयोग 9 फीसदी विकास दर को लेकर आशान्वित था, लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में गिरावट, महंगाई और रुपये के अवमूल्यन ने उसे अनुमान में संशोधन के लिए बाध्य कर दिया है। उल्लेखनीय है कि योजना आयोग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के एप्रोच पेपर में सालाना औसत विकास दर 9 फीसदी हासिल करने के लक्ष्य की बात कही है, लेकिन आयोग अब अपने अनुमान से पीछे हटने लगा है।
दूसरी ओर योजना मंत्री ने चालू वित्त वर्ष में 7 फीसदी आर्थिक विकास दर की संभावना जताई है। दरअसल बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में भारत के आर्थिक विकास दर का प्रदर्शन 5.3 फीसदी और पिछले वित्त वर्ष में महज 6.5 फीसदी का विकास दर रहा है। जिससे आयोग के साथ-साथ सरकार को भी निराशा हाथ लगी है। यही वजह है कि मौजूदा परिप्रेक्ष्य में बाजार के जानकार और तमाम अर्थशास्त्रत्त्ी भी 9 फीसदी विकास दर की संभावना को नामुमकिन मान रहे हैं।