खाद्यान्न की रिकॉर्ड पैदावार के बावजूद आम आदमी को खाद्य महंगाई से फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। गेहूं और चावल की जबरदस्त उपज के बावजूद इसका असर कीमतों पर नहीं है। दालों के उत्पादन में कमी के चलते इसकी कीमतों के और बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। सरकार का अनुमान है कि यदि गर्मियों की दलहनी फसलों की पैदावार में सुधार हुआ तो कीमतों में ठहराव आ सकता है लेकिन जिस तरह से गर्मियों की दलहनी फसलों की बुवाई पीछे चल रही है। उससे अब यह उम्मीद भी धुंधली पड़ती नजर आ रही है।
जून तक लक्ष्य से कम हुई दलहन की बुवाई
कृषि मंत्रालय के मुताबिक पिछले सीजन के मुकाबले चालू सीजन में गर्मियों की दलहनी फसलों की बुवाई लगभग पंद्रह फीसदी तक पीछे रह गई है। यह स्थिति तब है जब सरकार की ओर से बुवाई का लक्ष्य ही सीमित निर्धारित किया गया है। सरकार ने दलहनी फसलों की बुवाई का लक्ष्य 17.49 लाख हेक्टेयर का निर्धारित किया है जबकि एक जून तक इनकी बुवाई 15.11 लाख हेक्टेयर ही हो पाई है। गर्मियों की दलहनी फसलों में प्रमुख रूप से चना और मूंग की ही बुवाई होती है लेकिन इस बार ज्यादातर राज्यों ने चने की ही बुवाई की है।
बिहार में दलहन बुवाई का लक्ष्य पूरा
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक गेहूं की कटाई में हो रही देरी के चलते उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में गर्मियों की फसलों की बुवाई प्रभावित हुई है। उत्तर प्रदेश में 1.28 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 94000 हेक्टेयर ही बुवाई हुई है। वहीं पंजाब में 1.50 लाख हेक्टेयर के मुकाबले सिर्फ 37000 और हरियाणा में एक लाख हेक्टेयर के मुकाबले सिर्फ 25000 हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुवाई का काम हो सका है। तमिलनाडु में बुवाई लक्ष्य से 90000 हेक्टेयर पीछे चल रही है। वहीं दूसरी ओर बिहार में पांच लाख हेक्टेयर का लक्ष्य पूरा हो चुका है। वहीं गुजरात, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में बुवाई लक्ष्य से अधिक हुई है।