एयर इंडिया के संकट को लेकर आलोचना झेल रही सरकार ने शुक्रवार को कई अहम कदम उठाने का ऐलान कर दिया। इसमें एयर इंडिया और विलय से पूर्व की इंडियन एयरलाइंस के स्टाफ के बीच वेतन के अंतर को दूर करना और काम के एक समान घंटे की नीति लाना भी शामिल है। इसके अलावा सरकार प्रदर्शन के आधार पर मिलने वाले भत्ते को खत्म करने जा रही है।
नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने एयर इंडिया में धर्माधिकारी समिति की सिफारिशें लागू किए जाने की घोषणा की। सिफारिशों को अमलीजामा पहनाने के लिए मंत्रालय के निदेशक नासिर अली की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी।
अजित ने कहा कि 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद वेतन-भत्ते व पदोन्नति विसंगतियों को दूर करने के लिए धर्माधिकारी समिति का गठन किया गया था। उन्होंने बताया कि दोनों एयरलाइंस के कर्मचारियों के वेतनमानों में एक रूपता होगी। कार्यपालक संवर्ग के लिए वेतनमान डीपीई के मानकों तथा गैर कार्यपालक संवर्ग के लिए औद्योगिक मानकों के अनुसार होंगे।
अजित सिंह ने बताया कि विलय को सफल बनाने के लिए दोनों एयर लाइंस के कर्मचारियों को एकसूत्र में बांधना जरूरी है। यदि लेवल मैपिंग तथा पारस्परिक वरीयता के सभी समायोजनों के बाद पाया जाता है कि एक कनिष्ठ कर्मचारी का मूल वेतन, वरिष्ठ के मूल वेतन से अधिक है तो संशोधित मूल वेतन को कनिष्ठ के बराबर कर दिया जाएगा। लेकिन इसमें भत्तों की ही कटौती की जाएगी। इससे एयर इंडिया को पहले ही वर्ष में 250 करोड़ रुपये की बचत होगी।