पानी की खराब गुणवत्ता के कारण भले ही आम आदमी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इससे वाटर प्यूरीफायर कारोबार को बहुत फायदा पहुंचा है। एक अनुमान के अनुसार, 2015 तक वाटर प्यूरीफायर इंडस्ट्री का कारोबार 7,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। वहीं, वाटर प्यूरीफायर का उपयोग करने में गुजरात देश का सबसे अव्वल राज्य है। उद्योग एवं वाणिज्य मंडल एसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार, वाटर प्यूरीफायर कारोबार एवं संबंधित उद्योग सालाना 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इसके अगले तीन वर्षों में सात हजार करोड़ पहुंचने की उम्मीद है। वर्तमान में यह कारोबार 3,200 करोड़ रुपये के आसपास है।
प्यूरीफायर के उपयोग में गुजरात अव्वल
इसके अलावा, अकेले वाटर प्यूरीफायर की बिक्री के भी 2015 तक 1.5 करोड़ यूनिट तक पहुंचने की संभावना है। जबकि, वर्तमान में यह आंकड़ा करीब 78 लाख है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल स्तर पर वाटर प्यूरीफायर कारोबार सालाना आठ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जो वर्तमान में 4.96 लाख करोड़ रुपये पर है। इसके 2015 तक 6.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, वाटर प्यूरीफायर के उपयोग में सबसे आगे गुजरात है, जहां इसका करीब 32 प्रतिशत कारोबार है।
गंदे पानी की आपूर्ति से मिला इस कारोबार को बल
इस रिपोर्ट के अनुसार देश में अकेले करीब 85 प्रतिशत जल स्रोतों का उपयोग सिंचाई के लिए और 10 प्रतिशत उद्योग धंधों और निर्माण परियोजनाओं के लिए किया जाता है। जबकि, महज पांच प्रतिशत ही पीने के लिए इस्तेमाल होता है। देश में लगातार भूजल स्तर में आ रही गिरावट, पानी की कमी और गंदे पानी की आपूर्ति ने पानी स्वच्छ करने जैसे उत्पादों की मांग में इजाफा कर दिया है। कंपनियां भी मांग के हिसाब से उत्पादों की आपूर्ति में जुटी हैं, जिसमें सस्ते वाटर प्यूरीफायर और महंगे प्यूरीफायर शामिल हैं।
केंट आरो, यूरेका फोर्ब्स, एलजी, व्हर्लपूल, पैनासोनिक, फिलिप्स, ऊषा, बजाज, ओकाया जैसी कई नामीगिरामी कंपनियां अपने-अपने उत्पादों के साथ पहले ही बाजार में मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वाटर प्यूरीफायर के उपयोग में सबसे आगे गुजरात है, जहां इसका करीब 32 प्रतिशत कारोबार है। इसके अलावा, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वाटर प्यूरीफायर की सालाना मांग करीब 42 हजार इकाई है।