गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मूंगफली की पैदावार बढ़ने का असर आम आदमी को सस्ते खाद्य तेलों के रूप में मिलना शुरू हो गया है। पिछले बीस दिनों में न सिर्फ साबुत मूंगफली के दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे आ चुके हैं, बल्कि खाद्य तेलों में भी मूंगफली सहित सरसों, सोयाबीन रिफाइंड, बिनौला और पॉम आयल की कीमतों में भी 500 से 700 रुपये क्विंटल की कमी हुई है। ग्लोबल स्तर पर अगले महीने इंडोनेशिया में नए पॉम की निकासी शुरू होने की खबरों से विदेशी खाद्य तेलों में भी मंदी का रुख बन गया है।
मूंगफली तेल के दाम 700 रुपये लुढ़के
कारोबारियों का कहना है कि महंगाई से जूझ रहे आम आदमी को अगले चार महीनों तक खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। रबी सीजन में मूंगफली की पैदावार बढ़ने से घरेलू खाद्य तेलों में मंदी का रुख बना हुआ है। राजकोट में साबुत मूंगफली के दाम 400 रुपये तक गिरकर 4,800 रुपये क्विंटल रह गए हैं।
वहीं, मूंगफली तेल के दाम भी 700 रुपये लुढ़ककर 12,300 से 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं। मूंगफली में चल रही गिरावट का असर दूसरे खाद्य तेलों पर भी पड़ा है। सरसों तेल के दाम 6,900 से 7,000 रुपये और सोयाबीन रिफाइंड का दाम 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है।
खपत की अपेक्षा कम हुआ तेल का उत्पादन
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, रबी सीजन में मूंगफली की पैदावार 18.81 लाख टन तक पहुंच गई है, जोकि पिछले रबी सीजन के 16.22 लाख टन के मुकाबले 2.59 लाख टन अधिक है। हालांकि 2011-12 के दौरान तिलहनों का कुल उत्पादन 300 लाख टन ही हुआ है, जोकि घरेलू खाद्य तेलों की बढ़ती मांग को देखते हुए कम है। इसके बावजूद अर्जेंटीना, ब्राजील और इंडोनेशिया की बिकवाली से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी खाद्य तेलों के दाम ढीले हैं। इससे मानसून सीजन में आम आदमी को खाद्य तेलों के लिए ऊंची कीमत नहीं चुकानी होगी।
गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मूंगफली की पैदावार बढ़ने का असर आम आदमी को सस्ते खाद्य तेलों के रूप में मिलना शुरू हो गया है। पिछले बीस दिनों में न सिर्फ साबुत मूंगफली के दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे आ चुके हैं, बल्कि खाद्य तेलों में भी मूंगफली सहित सरसों, सोयाबीन रिफाइंड, बिनौला और पॉम आयल की कीमतों में भी 500 से 700 रुपये क्विंटल की कमी हुई है। ग्लोबल स्तर पर अगले महीने इंडोनेशिया में नए पॉम की निकासी शुरू होने की खबरों से विदेशी खाद्य तेलों में भी मंदी का रुख बन गया है।
मूंगफली तेल के दाम 700 रुपये लुढ़के
कारोबारियों का कहना है कि महंगाई से जूझ रहे आम आदमी को अगले चार महीनों तक खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। रबी सीजन में मूंगफली की पैदावार बढ़ने से घरेलू खाद्य तेलों में मंदी का रुख बना हुआ है। राजकोट में साबुत मूंगफली के दाम 400 रुपये तक गिरकर 4,800 रुपये क्विंटल रह गए हैं।
वहीं, मूंगफली तेल के दाम भी 700 रुपये लुढ़ककर 12,300 से 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं। मूंगफली में चल रही गिरावट का असर दूसरे खाद्य तेलों पर भी पड़ा है। सरसों तेल के दाम 6,900 से 7,000 रुपये और सोयाबीन रिफाइंड का दाम 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है।
खपत की अपेक्षा कम हुआ तेल का उत्पादन
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, रबी सीजन में मूंगफली की पैदावार 18.81 लाख टन तक पहुंच गई है, जोकि पिछले रबी सीजन के 16.22 लाख टन के मुकाबले 2.59 लाख टन अधिक है। हालांकि 2011-12 के दौरान तिलहनों का कुल उत्पादन 300 लाख टन ही हुआ है, जोकि घरेलू खाद्य तेलों की बढ़ती मांग को देखते हुए कम है। इसके बावजूद अर्जेंटीना, ब्राजील और इंडोनेशिया की बिकवाली से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी खाद्य तेलों के दाम ढीले हैं। इससे मानसून सीजन में आम आदमी को खाद्य तेलों के लिए ऊंची कीमत नहीं चुकानी होगी।