घरेलू और विदेशी निवेशकों को आयकर संबंधी मामलों में बड़ी राहत देते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने स्पष्ट किया है कि आयकर विभाग ऐसे मामलों को दोबारा नहीं खोलेगा, जिनमें आयकर निर्धारण प्रक्रिया एक अप्रैल, 2012 से पहले पूरी हो चुकी है। मुखर्जी ने आयकर विभाग के राजधानी के सिविक सेंटर स्थित प्रत्यक्ष कर भवन के उद्घाटन के मौके पर कहा कि भारतीय आयकर कानून 1961 को पूर्ववर्ती प्रभाव से संशोधित करने का मकसद किसी को परेशान करना नहीं है।
इस संशोधन लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जताई जा रही आशंकाओं को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक अप्रैल 2012 से पहले बंद हो गए आयकर कर मामलों पर लागू नहीं होगा। यह संशोधन 1961 से भी लागू नहीं माना जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) अलग से विस्तृत परिपत्र जारी करेगा।
उन्होंने कहा कि आयकर कानून में पूर्ववर्ती प्रभाव से संशोधन पर आशंकाओं को संसद में भी बयान देकर दूर कर चुके हैं। अब इसको लेकर किसी को परेशान नहीं होना चाहिए। यह व्यवस्था अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों में भी है। यह संशोधन सिर्फ आधुनिक चलन के रूप में किया गया है। हस्तांतरण मूल्य निर्धारण और अंतरराष्ट्रीय कराधान का उल्लेख करते हुए मुखर्जी ने कहा कि इस संबंध में एक सलाहकार समूह गठित किया गया है। उसकी पहली बैठक विगत 25 मई को हुई है।
मुखर्जी ने कहा कि कर कानून बहुत जटिल है। आज पूरी दुनिया एक गांव बन चुकी है और इसमें अंतरराष्ट्रीय टैक्सेशन का चलन बढ़ा है। सरकार ने दोहरे कराधान से बचाने के लिए 82 देशों के साथ संधि की है। कुछ देशों के साथ कर सूचना आदान-प्रदान का भी करार किया गया है। उन्होंने कहा कि 2008 में ग्लोबल आर्थिक संकट के बाद सभी देशों ने कर चोरी को रोकने के उपाय किये हैं।
इसका असर हुआ है और कर संग्रह में बढ़ोतरी भी हुई है। आयकर कानून में संशोधन पूर्ववर्ती प्रभाव से लागू करने का ग्लोबल स्तर पर जबरदस्त विरोध हुआ था। टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन के हचिसन एस्सार में से हचिसन की हिस्सेदारी लेने पर 11 हजार करोड़ रुपये की कर वसूली मामले के इस संशोधन के बाद फिर से खुलने के मद्देनजर वोडाफोन ने इसका घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमकर विरोध किया।