पेट्रोल के दामों में भारी बढ़ोतरी पर व्यापार जगत में मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई है। भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ (फिक्की) ने मूल्य वृद्धि का स्वागत करते हुए कहा है कि रुपये में हो रहे गिरावट को देखते यह वृद्धि आवश्यक हो गई थी। वहीं अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने सरकार से अपने करों में कमी करने और मूल्य वृद्धि में कटौती को कहा है। जबकि ऑटो उद्योग की भौंहें इस इस फैसले से तन गई हैं। पहले से ही बिक्री न बढ़ने से परेशान ऑटो उद्योग ने कहा है कि पेट्रोल की कीमत बढ़ने से इस सेक्टर पर बुरा असर पड़ेगा।
फिक्की ने जताई खुशी
फिक्की ने कहा कि इस वृद्धि के बावजूद तेल कंपनियों की लागत से कम वसूली (अंडर रिकवरी) की आंशिक भरपाई हो पाएगी। उसने कहा है कि सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों के बाजार के अनुरूप होने देना चाहिए। संगठन ने राजनीतिक दलों को पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को तर्कसंगत बनाने में सहयोग करना चाहिए। तेल कंपनियों को केरोसिन पर 31 रुपये प्रति लीटर, डीजल पर 13.64 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस पर 479 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है।
'कैसे बिकेंगी कारें?'
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) के सीनियर डायरेक्टर सुगतो सेन ने कहा कि पेट्रोल कारें पहले ही नहीं बिक रही हैं। इस रिकॉर्ड बढ़ोतरी के साथ स्थिति बद से बदतर हो जाएगी। जनरल मोटर्स इंडिया के उपाध्यक्ष पी.बालेंद्रन ने कहा कि वर्तमान स्थिति में लोगों का पेट्रोल गाड़ियां छोड़कर डीजल गाड़ियों की ओर झुकाव बढ़ेगा।
'सरकार कम करे कर'
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने पेट्रोल की कीमतों में भारी वृद्धि का विरोध करते हुए कहा है कि सरकार को अपने करों में कटौती करनी चाहिए। परिसंघ ने कहा है कि आम जनता पहले से मुद्रास्फीति की उच्च दरों से त्रस्त है और पेट्रोल की कीमतों की बढ़ोतरी से उसकी मुश्किलों में इजाफा होगा। पेट्रोल की खुदरा कीमतों में सरकारी करों का बड़ा हिस्सा है इसलिए सरकार को करों में कटौती करनी चाहिए।