रुपये में लगातार गिरावट के कारण भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों का घाटा उनके घरेलू प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बढ़कर दोगुना हो गया है। बुधवार को रुपया धराशाई होकर 56 के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर के नीचे चला गया था।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले कुछ समय से घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का रुख बना हुआ है। इसबीच, डॉलर के मुकाबले रुपये में निर्बाध गिरावट ने विदेशी संस्थागत निवेशकों और अन्य विदेशी संस्थाओं का घाटा करीब दोगुना कर दिया है।
पिछले एक माह के दौरान सेंसेक्स में 7 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि इसी अवधि में डॉलेक्स-30 (सेंसेक्स की तरह डॉलर से जुड़ा एक्सचेंज) में करीब 14 फीसदी की तेज गिरावट दर्ज की गई। इसी तरह, पिछले करीब एक साल की अवधि के दौरान सेंसेक्स करीब 14 फीसदी लुढ़क गया, जबकि डॉलेक्स-30 करीब 28 फीसदी टूट गया।
अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये में तेज अवमूल्यन के कारण डॉलेक्स की वैल्यू में तीव्र गिरावट आई है। पिछले केवल एक माह के दौरान ही रुपया डॉलर की तुलना में पांच फीसदी तक कमजोर हो चुका है। जबकि गत एक साल की बात करें, तो रुपये में डॉलर की तुलना में 20 फीसदी की कमजोरी आ चुकी है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि कमजोर होता रुपया उन विदेशी निवेशकों का रिटर्न कम कर रहा है, जिन्होंने डॉलर में निवेश किया है।
इंड्सइंड बैंक के इकोनामिक एंड मार्केट रिसर्च के प्रमुख मॉसेस हार्डिंग का कहना है कि विदेशों में डॉलर के मजबूत होने घरेलू स्तर पर बैंकों और आयातकों की ओर से डॉलर की मांग की जा रही है। इसका असर रुपये के भाव पर पड़ रहा है। यानी, डॉलर के मुकाबले उसमें अवमूल्यन हो रहा है।