भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में इस समय कुल 118 अरब टन कोयले का भंडार मौजूद है। जबकि अनुमानित भंडार इससे दोगुना 293 अरब टन का है। इसके बावजूद घरेलू जरूरतों के लिए देश कोकोयले का आयात करना पड़ता है। देश के कोयला बाजार पर नजर रखने वाली संस्था इंडिया कोल मार्केट (आईसीएम) ने कोयला भंडार पर अपनी रिपोर्ट में जीएसई के अप्रैल 2012 के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि पिछले वित्तवर्ष की तुलना में इसमें करीब 4 अरब टन की वृद्धि हुई है।
जीएसई के अनुमान के मुताबिक, मौजूदा उत्पादन स्तर पर भी 1,200 मीटर की गहराई तक मौजूद देश के कोयला भंडार अगले 200 वर्षों तक बने रहेंगे। कोयला भंडारों की सेहत पर जीएसई के आंकडे़ इस बात का समर्थन करते हैं कि भारत के कोयला भंडार दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन के बाद सबसे बडे़ हैं। लेकिन, इसके बावजूद देश को घरेलू जरूरतों के लिए कोयला आयात करना पड़ता है।
इसकी मुख्य वजह यह है कि कोयला भंडारों का पर्याप्त दोहन नहीं हो पा रहा है। अप्रैल 2011 से मार्च 2012 के बीच महज 7.11 अरब टन कोयला भंडारों का दोहन ही हो पाया है। इसके कारण बिजली कंपनियों को कोयले की आपूर्ति के संकट से जूझना पड़ रहा है।