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CEDA-CMIE: कोविड महामारी शुरू होने से पहले के मुकाबले अब 1.4 करोड़ कम लोगों के पास रोजगार, स्टडी में खुलासा
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विवेक दास
Updated Wed, 04 Jan 2023 01:36 PM IST
सार
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CEDA-CMIE Bulletin: द इंपेक्ट ऑफ द कोविड पेंडेमिक ऑन पीपुल्स इकोनॉमिक लाइव्स नाम से यह रिपोर्ट बीते 27 दिसंबर को प्रकाशित की गई है। इस रिपोर्ट में इस बात पर चर्चा की गई है कि कैसे कोरोना महामारी ने देश में उपलब्ध रोजगार को प्रभावित किया है।
कोरोना महामारी के बाद बेरोजगारी
- फोटो : amarujala.com
कोरोना संकट के बाद से देश में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है, पर यह सुधार अब भी महामारी के पहले के लेवल पर नहीं पहुंच पाया है। जनवरी 2020 से तुलना करें तो अक्तूबर 2022 में 14 मिलियन यानी 1.4 करोड़ कम लोगों के पास रोजगार उपलब्ध है। सीसीडीए-सीएमआईई ने अपनी बुलेटिन में इसकी जानकारी दी है। आंकड़ों के अनुसार कोरोना महामारी की पूर्व की तुलना में 45 लाख कम पुरुष और 96 लाख कम महिलाएं फिलहाल रोजगार में हैं।
इन आंकड़ों से संबंधित रिपोर्ट़्स अशोका विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस और सेंटर फॉर माॅनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने कंपाइल कर प्रकाशित किए हैं। द इंपेक्ट ऑफ द कोविड पेंडेमिक ऑन पीपुल्स इकोनॉमिक लाइव्स नाम से यह रिपोर्ट बीते 27 दिसंबर को प्रकाशित की गई है। इस रिपोर्ट में इस बात पर चर्चा की गई है कि कैसे कोरोना महामारी ने देश में उपलब्ध रोजगार को प्रभावित किया है।
नवीनतम बुलेटिन में लेखिका प्रीता जोसेफ और रशिका मौदगिल ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में युवा व्यक्ति (15-39 आयु वर्ग के लोग) बेरोजगारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अक्टूबर 2022 तक, जनवरी 2020 की तुलना में 15-39 आयु वर्ग के लगभग 20% कम लोगों को रोजगार मिला। इसमें कोरोना संकट के पूर्व की तुलना में 36.5 मिलियन की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, इस दौरान वृद्ध आयु वर्ग (40-59 वर्ष) के लोगों के रोजगार में 12% की वृद्धि हुई। जनवरी 2020 की तुलना में अक्टूबर 2022 में इस आयु वर्ग के अतिरिक्त 25 मिलियन लोगों को रोजगार मिला।
उन्होंने कहा, 'ऐसा इसलिए है क्योंकि 15-39 आयु वर्ग का एक बड़ा वर्ग कार्यबल शामिल हो रहा है। सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास कहते हैं, “वृद्ध आयु वर्ग मौजूदा कौशल का उपयोग करके अपनी पिछली नौकरियों को बनाए रख रहा है या वापस आ रहा है।” बुलेटिन में कहा गया है कि शुरुआती लॉकडाउन महीनों के बाद पिछले तीन वर्षों में शहरी रोजगार अपेक्षाकृत स्थिर रहा। बुलेटिन के अनुसार पहले लॉकडाउन के बाद समग्र रोजगार में बदलाव मुख्य रूप से ग्रामीण रोजगार में उतार-चढ़ाव से प्रभावित हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार सेवा क्षेत्र, जो लगभग 147 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, देश का सबसे बड़ा नियोक्ता बना हुआ है। लेकिन यह भी अभी तक महामारी से पहले के रोजगार के स्तर को फिर से हासिल नहीं कर पाया है। सेवाओं के भीतर, थोक और खुदरा व्यापार अब वित्तीय वर्ष 2018-19 की 59 मिलियन की तुलना में 70 मिलियन से अधिक रोजगार देता है।
वित्तीय सेवाओं में रोजगार पिछले वर्ष की तुलना में 2021-22 में 16.1% बढ़ा। वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 के बीच आईटी और आईटीईएस में कार्यबल में 11% की वृद्धि हुई।
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यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में कार्यबल में कमी देखी गई है। नियोजित श्रमिक में सबसे बड़ा हिस्सा छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों रहा। महामारी से पहले और उसके दौरान किसानों और उद्यमियों की संख्या में वृद्धि हुई। बुलेटिन में कहा गया है कि 2018 की तुलना में 2022 में 1.3 करोड़ अधिक उद्यमी हैं।
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