कोरोना के तेज होते संक्रमण को देखते हुए दिल्ली में छह अप्रैल से 30 अप्रैल तक नाइट कर्फ्यू का एलान कर दिया गया है। नाइट कर्फ्यू से बेहद आवश्यक सेवाओं को ही बाहर रखा गया है। नाइट कर्फ्यू से मंदिरों और धार्मिक गतिविधियों को अलग नहीं रखा गया है, इसलिए इस बार नवरात्रों में भक्त कोरोना नियमों का पालन करते हुए ही मां दुर्गा के दर्शन कर पाएंगे। नाइट कर्फ्यू के कारण मंदिरों को पहले की भांति पूरी रात खुले रखने से दूरी बरतने का निर्णय किया गया है। सभी मंदिरों ने अपने यहां दर्शन की समय सीमा रात्रि कर्फ्यू के अनुसार बदल दी है। इस बार 13 अप्रैल (उगादी) से 21 अप्रैल (रामनवमी) तक नवरात्रि पड़ रहे हैं। एक भी नवरात्रि कम न होने के कारण धर्माचार्य इसे बहुत शुभ बता रहे हैं।
दिल्ली के प्रसिद्ध झंडेवालान मंदिर के सेवक रविंदर गोयल ने अमर उजाला को बताया कि इस बार भक्त सुबह 6 बजे से शाम 9 बजे के बीच ही मां के दर्शन कर सकेंगे। पिछले नवरात्रों की तरह इस बार भी फूल-माला या नारियल का प्रसाद मां को नहीं चढ़ाया जा सकेगा। भक्तों को मंदिर में प्रवेश से पहले तापमान चेक कराना होगा। मास्क पहनकर और सैनिटाइजर का उपयोग करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश मिल सकेगा। मंदिर की दोनों समय की आरती, जागरण कार्यक्रम और दर्शन का ऑनलाइन चैनल पर सीधा प्रसारण किया जायेगा।
रथ यात्रा नहीं निकलेगी
रविंदर गोयल ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। मंदिर के सेवादारों में भी 60 वर्ष से ऊपर की आयु के लोग भाग नहीं ले सकेंगे। रात्रि में मंदिर बंद रखा जायेगा, इस कारण रात्रि में दो पाली में सेवादारों की जरूरत नहीं होगी, इसलिए इस बार केवल 1500 भक्त ही सेवादार की भूमिका निभायेंगे। सार्वजनिक जगहों पर भीड़ न बढ़ने को ध्यान में रखते हुए इस बार रथ नहीं निकाले जायेंगे।
रुकने की जगह नहीं
मां का दर्शन कर बाहर निकल रहे भक्तों को पैकेट बंद प्रसाद दिया जायेगा। विशेष मशीन के नीचे हाथ दिखाते ही मशीन से स्वयं ही चरणामृत निकलेगा, जिसे भक्त ग्रहण कर सकेंगे। मंदिर में प्रवेश से लेकर निकासी तक लाइन में आना-जाना अनिवार्य रहेगा जिससे शारीरिक दूरी को सुनिश्चित किया जा सके। मंदिर में कहीं भी रुकने या ठहरने की जगह नहीं दी जाएगी।
मंदिर में प्रति वर्ष कथा और जागरण का आयोजन होता है। इस बार के जागरण के दौरान भी भक्तों को रुकने का स्थान नहीं दिया जायेगा। भक्त ऑनलाइन ही मां के दर्शन और जागरण का लाभ उठा सकेंगे।
कथा का आयोजन नहीं
बिड़ला मंदिर के मुख्य प्रशासक विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि बिड़ला मंदिर में सुबह पांच बजे से ही दर्शनों की अनुमति होगी, लेकिन रात्रि के समय नौ बजे तक ही मां के दर्शन की अनुमति होगी। कोरोना नियमों, तापमान, मास्क और शारीरिक दूरी को बनाये रखते हुए भक्त दर्शन कर सकेंगे। लेकिन मंदिर में कोई प्रसाद चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी। कथा का आयोजन भी इस बार के लिए बंद कर दिया गया है।
राजधानी के कालकाजी मंदिर के सेवक अनुज त्यागी ने बताया कि इस बार कोरोना को देखते हुए नियमों में सख्ती रहेगी। भक्त अपने साथ कोई सामग्री नहीं ला सकेंगे। दर्शन के लिए पंक्तियों में ही आने-जाने की सुविधा रहेगी।
विस्तार
कोरोना के तेज होते संक्रमण को देखते हुए दिल्ली में छह अप्रैल से 30 अप्रैल तक नाइट कर्फ्यू का एलान कर दिया गया है। नाइट कर्फ्यू से बेहद आवश्यक सेवाओं को ही बाहर रखा गया है। नाइट कर्फ्यू से मंदिरों और धार्मिक गतिविधियों को अलग नहीं रखा गया है, इसलिए इस बार नवरात्रों में भक्त कोरोना नियमों का पालन करते हुए ही मां दुर्गा के दर्शन कर पाएंगे। नाइट कर्फ्यू के कारण मंदिरों को पहले की भांति पूरी रात खुले रखने से दूरी बरतने का निर्णय किया गया है। सभी मंदिरों ने अपने यहां दर्शन की समय सीमा रात्रि कर्फ्यू के अनुसार बदल दी है। इस बार 13 अप्रैल (उगादी) से 21 अप्रैल (रामनवमी) तक नवरात्रि पड़ रहे हैं। एक भी नवरात्रि कम न होने के कारण धर्माचार्य इसे बहुत शुभ बता रहे हैं।
दिल्ली के प्रसिद्ध झंडेवालान मंदिर के सेवक रविंदर गोयल ने अमर उजाला को बताया कि इस बार भक्त सुबह 6 बजे से शाम 9 बजे के बीच ही मां के दर्शन कर सकेंगे। पिछले नवरात्रों की तरह इस बार भी फूल-माला या नारियल का प्रसाद मां को नहीं चढ़ाया जा सकेगा। भक्तों को मंदिर में प्रवेश से पहले तापमान चेक कराना होगा। मास्क पहनकर और सैनिटाइजर का उपयोग करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश मिल सकेगा। मंदिर की दोनों समय की आरती, जागरण कार्यक्रम और दर्शन का ऑनलाइन चैनल पर सीधा प्रसारण किया जायेगा।
रथ यात्रा नहीं निकलेगी
रविंदर गोयल ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। मंदिर के सेवादारों में भी 60 वर्ष से ऊपर की आयु के लोग भाग नहीं ले सकेंगे। रात्रि में मंदिर बंद रखा जायेगा, इस कारण रात्रि में दो पाली में सेवादारों की जरूरत नहीं होगी, इसलिए इस बार केवल 1500 भक्त ही सेवादार की भूमिका निभायेंगे। सार्वजनिक जगहों पर भीड़ न बढ़ने को ध्यान में रखते हुए इस बार रथ नहीं निकाले जायेंगे।
रुकने की जगह नहीं
मां का दर्शन कर बाहर निकल रहे भक्तों को पैकेट बंद प्रसाद दिया जायेगा। विशेष मशीन के नीचे हाथ दिखाते ही मशीन से स्वयं ही चरणामृत निकलेगा, जिसे भक्त ग्रहण कर सकेंगे। मंदिर में प्रवेश से लेकर निकासी तक लाइन में आना-जाना अनिवार्य रहेगा जिससे शारीरिक दूरी को सुनिश्चित किया जा सके। मंदिर में कहीं भी रुकने या ठहरने की जगह नहीं दी जाएगी।
मंदिर में प्रति वर्ष कथा और जागरण का आयोजन होता है। इस बार के जागरण के दौरान भी भक्तों को रुकने का स्थान नहीं दिया जायेगा। भक्त ऑनलाइन ही मां के दर्शन और जागरण का लाभ उठा सकेंगे।
कथा का आयोजन नहीं
बिड़ला मंदिर के मुख्य प्रशासक विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि बिड़ला मंदिर में सुबह पांच बजे से ही दर्शनों की अनुमति होगी, लेकिन रात्रि के समय नौ बजे तक ही मां के दर्शन की अनुमति होगी। कोरोना नियमों, तापमान, मास्क और शारीरिक दूरी को बनाये रखते हुए भक्त दर्शन कर सकेंगे। लेकिन मंदिर में कोई प्रसाद चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी। कथा का आयोजन भी इस बार के लिए बंद कर दिया गया है।
राजधानी के कालकाजी मंदिर के सेवक अनुज त्यागी ने बताया कि इस बार कोरोना को देखते हुए नियमों में सख्ती रहेगी। भक्त अपने साथ कोई सामग्री नहीं ला सकेंगे। दर्शन के लिए पंक्तियों में ही आने-जाने की सुविधा रहेगी।