बीआरडी कांड के फरार छह आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने अब आठ टीमें लगा दी हैं। ताबड़तोड़ छापेमारी भी चल रही है लेकिन आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। वे शातिर अपराधी की तरह पुलिस को गच्चा दे रहे हैं।
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मामला सीएम योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं का है, फिर भी पुलिस अंधेरे में हाथ-पांव चला रही है। कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद भी आरोपियों के सुराग नहीं मिल सके हैं।
बीआरडी कांड में निलंबित पूर्व प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्रा समेत नौ नामजद आरोपी बनाए गए थे। इसमें से डॉ. राजीव, उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा और डॉ. कफील खान की गिरफ्तारी हो चुकी है।
अब फरार छह आरोपियों की गिरफ्तारी को जाल बिछाया गया है। पुलिस की तीन और टीमें लगाई गई हैं। पांच टीमें पहले से गिरफ्तारी की कोशिश में लगी हैं। इसका मतलब है कि अब आठ टीमें गिरफ्तारी को लगा दी गई हैं।
इन टीमों को गोरखपुर के साथ ही अलग-अलग जिलों में भेजा गया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सीएम दो दिनों (तीन और चार सितंबर) तक शहर में थे। इसी दौरान सबकी गिरफ्तारी होनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
एफआईआर दर्ज होने और गिरफ्तारी के बीच लंबा समय निकल गया है। यह स्थिति बेहद शर्मनाक है। एसटीएफ, क्राइम ब्रांच की टीमें भी फरार छह आरोपियों की लोकेशन नहीं ट्रैस कर पा रही हैं। मामले की छानबीन जहां की तहां फंसी है।
पुलिस का हाथ पूरी तरह से खाली है। इस मामले में तीन गिरफ्तारियां हुई हैं। सभी एसटीएफ ने की हैं। इससे पुलिस का खुफिया और सूचना तंत्र भी सवालों के घेरे में है। इतना बड़ा तंत्र होने के बाद भी सामान्य आरोपियों की गिरफ्तारी में पुलिस को सफलता नहीं मिल पा रही है।
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पुलिस सूत्रों का कहना है कि प्रकरण की जांच और एफआईआर दर्ज होने में काफी समय लग गया। इसका फायदा आरोपियों ने उठाया और भाग निकले। इससे पुलिस प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं।