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MP News Ujjain University Student PhD on PM Modi Add All Small And Big Decision in Research News in Hindi
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MP News: उज्जैन यूनिवर्सिटी की इस स्टूडेंट ने PM मोदी पर कर डाली PhD, रिसर्च में शामिल किए छोटे-बड़े फैसले
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन
Published by: अरविंद कुमार
Updated Sat, 25 Mar 2023 11:05 AM IST
सार
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हिंदू नव वर्ष गुड़ी पड़वा पर उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इसमें पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल भी प्रदान किए गए। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने कई विषयों पर पीएचडी की है। वहीं, इंदौर निवासी अंकिता त्रिपाठी ने पीएम मोदी की भूमिका और विश्लेषणात्मक अध्ययन विषय पर पीएचडी की है।
वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लाखों प्रशंसक हैं, लेकिन इंदौर की रहने वाली एक स्टूडेंट्स ने विक्रम विश्वविद्यालय में पांच साल तक मेहनत करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना शोध पूर्ण किया और दीक्षांत समारोह में उपाधि भी प्राप्त कर ली है। उसने अपने शोध में साल 2014 में मोदी के प्रथम बार प्रधानमंत्री बनने से लेकर 30 मई 2019 के दूसरे कार्यकाल की शपथ और वर्तमान समय तक लिए गए फैसले के विश्लेषण को बताया है।
शोधा स्टूडेंट्स अंकिता त्रिपाठी ने बताया, कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने के बाद से ही मैं चाहती थी कि मैं भारतीय जनता पार्टी के किसी विषय पर पीएचडी करूं। क्योंकि मेरे पिताजी रमाकांत त्रिपाठी भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं, जो कि फतेहपुर से जिलाध्यक्ष, कानपुर के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष रहने के साथ ही पिछले लोकसभा चुनाव में पांच जिलों के चुनाव संयोजक थे। इसीलिए मैंने पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पीएचडी की शुरूआत की थी। अंकिता त्रिपाठी बताती हैं कि विक्रम विश्वविद्यालय में डॉ वीरेंद्र चावरे के मार्गदर्शन में मैंने यहां पीएचडी की है, जिसमें पॉलिटेक्निकल साइंस में हेड ऑफ डिपार्टमेंट दीपिका गुप्ता मैडम ने भी इस पीएचडी को करने में मेरी काफी सहायता की है।
गुजरात मॉडल और पंच योजना से जीत लिया था जनता का दिल...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म, राजनीतिक, सफर गुजरात में मुख्यमंत्री बनने, मुख्यमंत्री बनते ही पंच योजना पर कहां करने से लेकर हर बिंदु को शोध में प्रकाशित किया गया है। लेकिन प्रधानमंत्री बनते ही पहले शपथ ग्रहण में सार्क देश के नेताओं को आमंत्रित करना और फिर विदेश नीति को पहली वरीयता प्रदान करना उनकी दूरगामी सोच को बताती है। गुजरात मॉडल के आधार पर देशभर में काम है। केंद्रीयकरण पर बल देकर योजना आयोग को समाप्त कर इनके स्थान पर नीति आयोग बनाने से लेकर मन की बात से जनता के प्रथम सेवक की छवि बनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है।
साल 2019 तक किया सिर्फ ग्राम विकास पर फोकस...
साल 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों पर सबसे अधिक फोकस किया, जिसके तहत उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की गति प्रदान करना, बुनियादी ढांचे का निर्माण करना और डिजिटल साक्षरता को आगे बढ़ाया।
यह लिए ऐतिहासिक फैसले...
अंकिता त्रिपाठी ने अपने शोध मे इस बात का भी उल्लेख किया है कि साल 2014 के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को देखकर साल 2019 में उन्हें पसंद करने वालों की संख्या काफी बढ़ चुकी थी।
साल 2014 के बाद 2019 में कई राज्य ऐसे भी थे, जहां बीजेपी की सरकार आई थी। शोध में बताया गया कि नौ नवंबर 2016 को नोटबंदी काले धन का मुद्दा ही गवर्नमेंट भ्रष्टाचार पर रोक, प्रत्येक गांव तक पानी, महंगाई पर नियंत्रण, अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा एवं उद्योग, नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, अस्पतालों का आधुनिकरण, गंगा के प्रदूषण को रोकने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम, पक्के घर बनाना, तीन तलाक और कोरोना टीका लगाने पर सभी से समान व्यवहार कर फैसलों के साथ ही पांच अगस्त 2019 को धारा-370 को हटाया गया और जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठित किया गया।
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उसके बाद कई साल से चले आ रहे अयोध्या में मंदिर निर्माण के विवाद को सुलझाकर मंदिर निर्माण को हरी झंडी दिखाई।
प्रधानमंत्री ने 100 दिनों में भूटान नेपाल और जापान की यात्राएं की। इस शोध में यह भी बताया गया कि नरेंद्र मोदी का अब तक का कार्यकाल अन्य प्रधानमंत्रियों से भिन्न रहा है।
यह फैसले रहे असफल...
इन ऐतिहासिक फैसलों के साथ ही शोध में कुछ ऐसे फैसलों के बारे में भी बताया गया है, जिसमें कुछ नीतियां असफल साबित हुईं। जैसे कृषि कानून, आधार को पहचान वितरण प्रमाण के रूप में लॉन्च कर इसमें और आयरिश स्कैन जैसी व्यक्तिगत जानकारी पर आपत्ति जताने के साथ ही नोटबंदी को भी असफल बताया गया था।
इसे भ्रष्टाचार रोकने के लिए लाया गया था, जिसकी कड़ी आलोचना हुई। कुछ साल पहले जीएसटी को लागू किया गया, जिसे संविधान 101 अधिनियम में संशोधन कर नई व्यवस्था बनाई गई थी।
जीएसटी में आठ केंद्रीय और नौ राज्य को स्थान दिया गया था, जिससे छोटे व्यापारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
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