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: Kuno Naitonal Park News: Namibia Cheetah Ventures Into Village, Panic Among Villagers
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Kuno National Park: 15 घंटे बाद फिर कूनो पार्क में लौटा चीता ओबान, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, श्योपुर
Published by: अंकिता विश्वकर्मा
Updated Sun, 02 Apr 2023 08:47 PM IST
सार
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Namibia Cheetah News : कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकलकर एक चीता जिले की विजयपुर तहसील के गोलीपुरा और झाड़ बड़ौदा गांव के पास पहुंच गया। इससे ग्रामीण दहशत में आ गए। हालांकि, वन विभाग के अमले ने शाम छह बजे तक चीते को फिर से पार्क में खदेड़ दिया।
कूनो से निकलकर खेत में पहुंचा नामीबियाई चीता
- फोटो : सोशल मीडिया
कूनो नेशनल पार्क से ओबान नामक चीता बाहर निकलकर एक गांव के करीब पहुंच गया। इससे ग्रामीण दहशत में आ गए। उन्होंने डंडे हाथ में लिए और खेतों में ही उसे रोके रखा। उसका पीछा कर रहा वन कर्मियों का दस्ता भी वहां आ गया और ह्यूमन शील्ड और वाहनों के जरिये चीते को पार्क की ओर खदेड़ा। करीब 14-15 घंटे तक ओबान पार्क से बाहर रहा और शाम छह बजे के करीब लौट गया।
प्रोजेक्ट चीता से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ओबान को आशा नामक मादा चीते के साथ 11 मार्च को खुले जंगल में छोड़ा गया था। तब से ही वह लगातार अपनी सीमा तय करने के लिए भटक रहा है। वह इससे पहले भी कूनो पार्क की सीमा तक पहुंचा है। शनिवार रात को वह श्योपुर जिले की विजयपुर तहसील के गोली पुरा और झाड़ बड़ौदा गांव के पास के इलाके में स्थित खेत में पहुंच गया। सुबह खेत जा रहे ग्रामीणों ने चीता देखा तो ठिठक गए। दहशत की वजह से उन्होंने लाठी-डंडे हाथ में लिए और वन विभाग को सूचना दी।
ओबान उन चार नामीबियाई चीतों में से एक है, जिन्हें श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में मार्च में ही खुले जंगल में छोड़ा गया है। शनिवार रात को वह सुरक्षित इलाके से बाहर निकल आया था। एक वीडियो वायरल हो गया, जिसे स्थानीय ग्रामीणों ने रिकॉर्ड किया था। इसमें चीता एक खेत में बैठा था। वीडियो में लोगों को यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि 'गो ओबान गो... प्लीज ओबान गो'। ग्रामीणों के साथ ही प्रोजेक्ट चीता टीम ने ओबान को कूनो को पार्क की ओर धकेलने के लिए ह्यूमन वॉल बनाई और वाहनों का इस्तेमाल कर कॉरिडोर बनाया। अधिकारियों के मुताबिक शाम छह बजे ओबान फिर पार्क में लौट आया। कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा ने सुबह बताया कि वन विभाग चीते पर नजर रखे हुए हैं। हम रेस्क्यू के दौरान उनके साथ छेड़छाड़ नहीं करते हैं। धीरे-धीरे कूनो पार्क में लाने की कोशिश कर रहे हैं। चीते या किसी नागरिक की सुरक्षा को खतरा पैदा न हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है।
24 घंटे होती है निगरानी
वन विभाग और चीता रिसर्च टीम 24 घंटे चीतों पर नजर रख रही है। इस टीम में 20 से अधिक कर्मचारी हैं। यदि किसी चीते का मूवमेंट अनचाहे इलाके में होता नजर आता है तो उसे फिर से पार्क में खदेड़ने की कोशिश की जाती है। कूनो के फील्ड डायरेक्टर उत्तम शर्मा ने मीडिया को बताया कि जिन चार चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया है, उनके मूवमेंट पर 24 घंटे नजर रखी जाती है। उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं होता, सिर्फ नजर रखी जाती है। जब ऐसा लगता है कि वह सीमा से बाहर जा रहे हैं तो उन्हें फिर से पार्क में लाने की कोशिश होती है।
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5-10 किमी बाहर आया था चीता
अधिकारियों का कहना है कि ओबान को 11 मार्च को खुले जंगल में छोड़ा गया था। तब से वह कूनो की सीमा तक जा रहा है। मादा चीतों के मुकाबले नर चीतों का इलाका बहुत बड़ा होता है। आशा के मुकाबले ओबान का मूवमेंट कुछ अधिक ही रहा है। वह पार्क की सीमा तक जाता रहा है। गोली पुरा और झाड़ बड़ौदा गांवों तक चीता पहुंच गया था, जिसकी दूरी कूनो पार्क से बहुत अधिक नहीं है। यह पार्क से सटे हुए इलाके हैं। जहां चीते का पहुंचना सामान्य ही है।
असामान्य नहीं है पार्क से बाहर आना
चीतों का पार्क सीमा से बाहर आना असामान्य नहीं है। चीता प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि चीते अपनी टेरेटरी बना रहे हैं। वह नए इलाकों में जा रहे हैं और वहां के खतरों को जान रहे हैं। इस वजह से चीते का पार्क एरिया से बाहर आना प्रोजेक्ट के लिए खतरा नहीं है। न ही इसे मॉनिटरिंग का फेल्योर कह सकते हैं। इसकी वजह यह है कि वन विभाग और चीता रिसर्च की टीम उनके साथ अधिक छेड़छाड़ नहीं करती है। वैसे, चीतों से इंसानों को खतरा नहीं है। यह एक ऐसा जानवर है जो इंसानी आबादी से दूर रहना पसंद करता है।
17 सितंबर को लाया गया था नामीबिया से
ओबान उन आठ चीतों में से एक है, जिन्हें 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर कूनो पार्क में छोड़ा था। करीब 70 साल बाद भारत की धरती पर चीते आए हैं। उसके बाद उन्हें करीब दो महीने क्वारंटाइन बाड़ों में रखा गया और फिर बड़े बाड़ों में छोड़ा गया, जहां चीतल समेत अन्य जानवर उनके शिकार के तौर पर छोड़े गए हैं। पिछले महीने सात दशकों में पहली बार चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया था। फिलहाल चार चीतों को ही खुले जंगल में छोड़ा गया है। अन्य तीन चीतों को भी जल्द ही खुले जंगल में छोड़ा जाना है। एक चीता साशा की 27 मार्च को किडनी की बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। उसके दो दिन बाद ही नामीबिया से लाई गई चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया। फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को फिलहाल क्वारंटइन बाड़े में ही रखा गया है।
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