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मानवता के लिए खतरा बन चुकी कोरोना महामारी के दौर में भी कुछ लोग कालाबाजारी से बाज नहीं आ रहे हैं। कोरोना के इलाज में कारगर रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत के बीच मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में इसकी कालाबाजारी का मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर दवा की कथित कालाबाजारी में इंदौर में मेडिकल स्टोर संचालक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
इन आरोपियों को ऐसे वक्त पकड़ा गया, जब राज्य भर में रेमडेसिविर की भारी किल्लत है और मरीजों के परेशान परिजन इसकी कालाबाजारी की लगातार शिकायतें कर रहे हैं। एसटीएफ की इंदौर इकाई के पुलिस अधीक्षक मनीष खत्री ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर जाल बिछाकर पकड़े गए आरोपियों की पहचान राजेश पाटीदार, ज्ञानेश्वर बारस्कर और अनुराग सिंह सिसोदिया के रूप में हुई है।
निर्यात के लिए थे इंजेक्शन
आरोपियों के कब्जे से रेमडेसिविर की दो अलग-अलग ब्रांड की 12 शीशियां बरामद की गई हैं। शीशियों के पैकेट पर छपा है कि इनका उत्पादन "केवल निर्यात के लिए" किया गया है। खत्री ने बताया, 'इन शीशियों पर रेमडेसिविर दवा का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) नहीं छपा है। लेकिन आरोपी इसकी एक शीशी को 20,000 रुपये में बेचने की कोशिश कर रहे थे।' उन्होंने बताया कि आरोपियों में शामिल सिसोदिया मेडिकल स्टोर चलाता है, जबकि पाटीदार पेशे से मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है।
पुलिस अधीक्षक के मुताबिक शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपियों ने इंदौर के अलावा पड़ोसी धार जिले में भी रेमडेसिविर की शीशियां ऊंचे दामों पर बेची हैं। मामले में एसटीएफ की विस्तृत जांच जारी है।
भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर 88 अंतिम संस्कार
मप्र में भी कोरोना की दूसरी लहर कहर मचाए हुए हैं। बड़ी संख्या में संक्रमित मिलने के साथ ही मौतों का भी सिलसिला जारी है। गुरुवार को भोपाल के भदभदा विश्राम घाट में 88 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। इनमें से 72 कोरोना संक्रमित थे और 16 सामान्य। इन 72 कोरोना मृतकों में 45 भोपाल के और 27 बाहर के थे।