पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने किसान आंदोलन को लेकर शुक्रवार को अपनी राय रखी। उमा भारती ने कहा कि सरकार व किसान नेताओं के सामने किसानों की समस्याएं हल करने का यही मौका है और इसमें दोनों पक्षों को अहंकार व हठ छोड़कर काम करना होगा।
शुक्रवार को भोपाल स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से उमा भारती ने कहा कि किसान आंदोलन में किसान नेताओं को राजनीति नहीं आने देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ 30 साल बाद किसान जमा हुए हैं। सरकार के पास भी यही मौका है। इसलिए मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) के सामने भी बहुत बड़ा अवसर आया है और किसानों के सामने भी अवसर है। इस अवसर पर दोनों पक्षों को अहंकार और हठ से मुक्त होकर काम करना होगा।’
उमा भारती ने 30 साल पहले दिल्ली में किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत और शरद जोशी के किसान आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि दोनों किसान नेताओं में तब कोई मतभेद नहीं थे लेकिन उनके समर्थकों के बीच मंच पर ही संघर्ष हो गया था।
केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले दो महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे है। किसान नेताओं और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक इस मामले में समाधान नहीं निकला है।
किसानों को आशंका है नए कृषि कानूनों से देश भर में कृषि उपज मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बंद करने का रास्ता बनाया जा रहा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने किसान आंदोलन को लेकर शुक्रवार को अपनी राय रखी। उमा भारती ने कहा कि सरकार व किसान नेताओं के सामने किसानों की समस्याएं हल करने का यही मौका है और इसमें दोनों पक्षों को अहंकार व हठ छोड़कर काम करना होगा।
शुक्रवार को भोपाल स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से उमा भारती ने कहा कि किसान आंदोलन में किसान नेताओं को राजनीति नहीं आने देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ 30 साल बाद किसान जमा हुए हैं। सरकार के पास भी यही मौका है। इसलिए मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) के सामने भी बहुत बड़ा अवसर आया है और किसानों के सामने भी अवसर है। इस अवसर पर दोनों पक्षों को अहंकार और हठ से मुक्त होकर काम करना होगा।’
उमा भारती ने 30 साल पहले दिल्ली में किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत और शरद जोशी के किसान आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि दोनों किसान नेताओं में तब कोई मतभेद नहीं थे लेकिन उनके समर्थकों के बीच मंच पर ही संघर्ष हो गया था।
केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले दो महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे है। किसान नेताओं और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक इस मामले में समाधान नहीं निकला है।
किसानों को आशंका है नए कृषि कानूनों से देश भर में कृषि उपज मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बंद करने का रास्ता बनाया जा रहा है।