न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Updated Wed, 13 Jan 2021 10:56 PM IST
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
प्रदेश की 74 जिला पंचायतों में जिलाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त कर दिया गया है। इनमें 69 जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल बुधवार आधी रात को खत्म हो गया। वहां डीएम 14 जनवरी से प्रशासक का पदभार संभालेंगे। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अपरिहार्य कारणों से चुनाव नहीं हो पाने के कारण अधिकतम 6 माह की अवधि या चुनाव होने तक इन सभी जिला पंचायतों में जिलाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। एटा व कासगंज में जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल 17 फरवरी को खत्म होगा। इन दोनों जिलों में डीएम 18 फरवरी को प्रशासक का काम संभालेंगे।
इसी तरह कुशीनगर में 24 फरवरी को और कानपुर नगर में 24 मार्च को डीएम प्रशासक का पदभार ग्रहण करेंगे। वहीं, मऊ में जिलाधिकारी 19 अप्रैल को जिला पंचायत का कार्यभार संभालेंगे। गौतमबुद्धनगर में जिला पंचायत का चुनाव नहीं हुआ था। वहां जिलाधिकारी पहले से प्रशासक के रूप में कार्यरत है।
पिछले 25 वर्षों से अनुसूचित जाति (एससी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित रहे क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी), ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्षों के निर्वाचन क्षेत्रों में इस बार इन जातियों के लिए आरक्षण का लाभ लागू नहीं होगा। यही व्यवस्था एससी, एसटी के लिए आरक्षित रहे क्षेत्रों में भी लागू रहेगी। इस संबंध में जल्द ही शासन के निर्देश जारी हो सकते हैं।
पंचायत चुनाव के निर्वाचन क्षेत्रों (वार्डों) में आरक्षण के लिए तैयार प्रस्तावित फार्मूले के मुताबिक, ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों तथा जिला पंचायतों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र, यानी वार्डों की गणना पहले से तय फार्मूले के अनुसार डीएम के स्तर से की जाएगी। जिला पंचायतों में आगामी सामान्य निर्वाचन के आरक्षण में चक्रानुक्रम (रोटेशन) लागू किया जाएगा।
यानी 1995, 2000, 2005, 2010 एवं 2015 के चुनाव में आरक्षित वर्गों तथा महिलाओं के लिए आरक्षित जिला पंचायतों को इस बार इस वर्ग को नहीं रखा जाएगा। इनमें अवरोही (गिरते हुए) क्रम में अगली स्टेज पर आने वाली जिला पंचायत से आरक्षण दिया जाएगा। इसमें यह शर्त होगी कि यदि आरक्षण का कोटा पूरा करने के लिए जिला पंचायत शेष न हों तो पिछले पांच चुनावों में उस वर्ग के लिए आरक्षित जिला पंचायत में फिर से उसी वर्ग के लिए आरक्षण का निर्धारण हो सकता है। यही फार्मूला क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक) प्रमुख पद पर लागू हो सकता है।
प्रदेश की 74 जिला पंचायतों में जिलाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त कर दिया गया है। इनमें 69 जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल बुधवार आधी रात को खत्म हो गया। वहां डीएम 14 जनवरी से प्रशासक का पदभार संभालेंगे। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अपरिहार्य कारणों से चुनाव नहीं हो पाने के कारण अधिकतम 6 माह की अवधि या चुनाव होने तक इन सभी जिला पंचायतों में जिलाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। एटा व कासगंज में जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल 17 फरवरी को खत्म होगा। इन दोनों जिलों में डीएम 18 फरवरी को प्रशासक का काम संभालेंगे।
इसी तरह कुशीनगर में 24 फरवरी को और कानपुर नगर में 24 मार्च को डीएम प्रशासक का पदभार ग्रहण करेंगे। वहीं, मऊ में जिलाधिकारी 19 अप्रैल को जिला पंचायत का कार्यभार संभालेंगे। गौतमबुद्धनगर में जिला पंचायत का चुनाव नहीं हुआ था। वहां जिलाधिकारी पहले से प्रशासक के रूप में कार्यरत है।
पिछले 25 वर्षों में निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित रहा तो इस बार लाभ नहीं
पिछले 25 वर्षों से अनुसूचित जाति (एससी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित रहे क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी), ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्षों के निर्वाचन क्षेत्रों में इस बार इन जातियों के लिए आरक्षण का लाभ लागू नहीं होगा। यही व्यवस्था एससी, एसटी के लिए आरक्षित रहे क्षेत्रों में भी लागू रहेगी। इस संबंध में जल्द ही शासन के निर्देश जारी हो सकते हैं।
पंचायत चुनाव के निर्वाचन क्षेत्रों (वार्डों) में आरक्षण के लिए तैयार प्रस्तावित फार्मूले के मुताबिक, ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों तथा जिला पंचायतों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र, यानी वार्डों की गणना पहले से तय फार्मूले के अनुसार डीएम के स्तर से की जाएगी। जिला पंचायतों में आगामी सामान्य निर्वाचन के आरक्षण में चक्रानुक्रम (रोटेशन) लागू किया जाएगा।
यानी 1995, 2000, 2005, 2010 एवं 2015 के चुनाव में आरक्षित वर्गों तथा महिलाओं के लिए आरक्षित जिला पंचायतों को इस बार इस वर्ग को नहीं रखा जाएगा। इनमें अवरोही (गिरते हुए) क्रम में अगली स्टेज पर आने वाली जिला पंचायत से आरक्षण दिया जाएगा। इसमें यह शर्त होगी कि यदि आरक्षण का कोटा पूरा करने के लिए जिला पंचायत शेष न हों तो पिछले पांच चुनावों में उस वर्ग के लिए आरक्षित जिला पंचायत में फिर से उसी वर्ग के लिए आरक्षण का निर्धारण हो सकता है। यही फार्मूला क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक) प्रमुख पद पर लागू हो सकता है।