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UP : प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा, बिना प्रवेश परीक्षा के बीएससी में ले दिया दाखिला

चंद्रभान यादव, लखनऊ Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 01 Jun 2023 05:25 AM IST
सार

कई निजी कॉलेजों में मनमाने तरीके से नियम विरुद्ध दाखिला दे दिया गया है। करीब 110 ऐसे छात्रों को भी दाखिला दे दिया गया है, जिन्होंने संयुक्त प्रवेश परीक्षा दी ही नहीं है। मामले में जांच शुरू हो गई है।

UP : Fraud in admission in nursing colleges of the state
demo pic... - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा सामने आया है। कई निजी कॉलेजों में मनमाने तरीके से नियम विरुद्ध दाखिला दे दिया गया है। करीब 110 ऐसे छात्रों को भी दाखिला दे दिया गया है, जिन्होंने संयुक्त प्रवेश परीक्षा दी ही नहीं है। मामले में जांच शुरू हो गई है। सभी नर्सिंग कॉलेजों से दाखिला लेने वाले छात्रों का नए सिरे से ब्योरा मांगा गया है। ऐसे कॉलेजों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी है। डीजीएमई कार्यालय के भी कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है।



प्रदेश में करीब तीन सौ नर्सिंग कॉलेजों में करीब 13 हजार सीटें हैं। इसमें 24 सरकारी नर्सिंग कॉलेज हैं। पहले निजी नर्सिंग कॉलेज इंटरमीडिएट उत्तीर्ण छात्रों को अपने स्तर से दाखिला देते थे। चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 2022-23 में बीएससी नर्सिंग के लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था बनाई गई। एसजीपीजीआई को छोड़ कर अन्य सभी सरकारी एंव निजी कॉलेजों में बीएससी नर्सिंग में दाखिले के लिए अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय ने केजीएमयू के सहयोग से संयुक्त लिखित प्रवेश परीक्षा कराई। 


चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीएमई) ने काउंसिलिंग के जरिए मेरिटवार कॉलेजों को छात्र आवंटित किए। दाखिला लेने वाले छात्रों का विवरण अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय को भेज दिए गए। मई माह में नर्सिंग कॉलेजों से वार्षिक परीक्षा संबंधित आवेदन पहुंचे। चिकित्सा विश्वविद्यालय ने परीक्षा आवेदन पत्रों और काउंसिलिंग की सूची का मिलान किया तो फर्जीवाड़ा सामने आया।

काउंसिलिंग के अलावा करीब डेढ़ हजार से अधिक छात्रों के आवेदन आए हैं। यह देख हलचल मच गई। वार्षिक परीक्षा स्थगति कर दी गई। चिकित्सा शिक्षा विभाग, डीजीएमई और चिकित्सा विश्वविद्यालय के उच्चाधिकारियों की संयुक्त बैठक हुई। ऐसे में पूरे मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। डीजीएमई ने प्रदेश के सभी कॉलेजों से नए सिरे से दाखिला लेने वाले छात्रों का विवरण मांगा है।

बिना प्रवेश परीक्षा वाले छात्रों को दे दिया दाखिला
सूत्रों की मानें तो कई निजी कॉलेजों ने ऐसे भी छात्रों को दाखिला दे दिया है, जिन्होंने संयुक्त प्रवेश परीक्षा दी ही नहीं है। अभी तक इनकी संख्या करीब 110 पकड़ में आई है। इसी तरह करीब 137 छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने काउंसिलिंग के दौरान तय किए गए कॉलेज में दाखिला लेने के बजाय मनचाहे कॉलेज में दाखिला ले लिया है। इन दोनों कैटेगरी के छात्रों को वार्षिक परीक्षा से रोक दिया गया है।

डीजीएमई कार्यालय के कर्मचारियों पर गिर सकती है गाज
प्रथमदृष्टया जांच के दौरान डीजीएमई कार्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गलती भी सामने आई है। ऐसे में इस बात की पड़ताल की जा रही है कि निजी कॉलजों से सांठगांठ करके दाखिले की कवायद तो नहीं की गई है। क्योंकि कई कॉलेजों में निर्धारित तिथि के बाद भी दाखिले हुए हैं। ऐसे में विभागीय भूमिका की भी जांच करने की तैयारी चल रही है। ऐसे में डीजीएमई कार्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
जिन छात्रों ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया है और डीजीएमई कार्यालय की ओर से जिन्हें दाखिले की अनुमति दी गई है, उन्हीं छात्रों को वार्षिक परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी।
-डॉ. संजीव मिश्रा, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय

कॉलेजवार मौजूद मेरिट लिस्ट से मिलान किया जा रहा है। जिन छात्रों की गलती नहीं होगी, उन्हें परीक्षा देने की अनुमति दिलाई जाएगी। जिन लोगों ने बिना प्रवेश परीक्षा के दाखिला लिया है, उसके लिए संबंधित कॉलेज जिम्मेदार हैं। ऐसे कॉलेजों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
-किंजल सिंह, डीजीएमई

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