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Lucknow News: एक्सप्रेस-वे में समा गया गांव, मुआवजा मिला न आशियाने का ठिकाना

संवाद न्यूज एजेंसी, लखनऊ Updated Sun, 28 May 2023 11:57 PM IST
The village got engulfed in the expressway, neither the compensation nor the place of residence
रायबरेली। जगतपुर ब्लॉक का एक ऐसा गांव है जो गंगा एक्सप्रेस-वे की जद में पूरी तरह से आ गया है। इस गांव के किसी भी व्यक्ति को मुआवजा नहीं मिला है। नया घर बनाने के लिए जमीन भी प्रशासन की ओर से मुहैया नहीं कराई गई है। मजदूरी करके परिवार चला रहे इस गांव के लोगों के सामने आशियाने की गुंजाइश कहीं भी नहीं दिख रही है। ऊपर से ठेकेदार ने काम भी शुरू करा दिया है। बारिश में ग्रामीणों को खुले आसमान के नीचे गुजर-बसर करना पड़ेगा।

मेरठ से प्रयागराज के बीच 596 किलोमीटर सफर को सुहाना करने के लिए गंगा एक्सप्रेसवे का काम शुरू हो गया है। किसानों से करीब 3300 बीघे जमीन खरीद कर जिला प्रशासन ने यूपीडा को उपलब्ध करा दिया है। जमीन मिलने के बाद वे का काम भी आरंभ कर दिया गया है। जगतपुर ब्लॉक के पूरे कर्मिन गांव एक्सप्रेसवे की जद में आया है। अमूमन गांवों में आबादी या अन्य जमीनों पर लोगों के घर बने है। यही हाल इस गांव के लोगों का भी है। आबादी की जमीन पर घर होने के कारण मुआवजा किसी भी ग्रामीण को नहीं मिला है।

पूरे कुर्मिन गांव में 20 से अधिक घर हैं। मजदूरी करके गांव के लोग किसी तरह परिवार चला है। एक्सप्रेसवे में घर आने केे बाद भी मुआवजा न मिलने से ग्रामीणों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ग्रामीणों के पास जमीन के साथ ही रुपये भी नहीं हैं, कि नया आशियाना तैयार कर रहे। ऊपर से ग्रामीणों को बेघर करने के लिए ठेकेदार ने काम भी शुरू कर दिया है। प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को दूर-दूर तक मदद मिलने की उम्मीद नहीं है। कुछ दिन पहले तहसीलदार आए थे। रहने के लिए बंदोबस्त कराने का भरोसा दिया था, लेकिन अब कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
गंगा एक्सप्रेसवे के लिए जमीन खाली कराने के लिए जगतपुर के कूड़ गांव के पहले पिछले महीने विवाद हो गया था। यहां भी कुछ घर वे की जद में आ गए हैं। लोगों को मुआवजा मात्र इसलिए नहीं मिला, क्योंकि जमीन उनके नाम नहीं है। विवाद होने के बाद दोबारा तहसील प्रशासन की हिम्मत जमीन को खाली कराने की नहीं पड़ रही है।
जगतपुर ब्लॉक के पूरे कुर्मिन गांव निवासी शिव प्रसाद, राम मिलन, शिव मोहन, बुद्धीलाल का कहना है कि ऊंचाहार के तहसीलदार कुछ दिन पहले आए थे। घर के लिए जमीन दिलाने का भरोसा दिया था, लेकिन अब कहीं कोई सुन नहीं रहा है। रुपये और जमीन न होने के कारण घर की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं। ऐसे में परिवार के साथ कहां रहेंगे। कुछ समझ में नहीं आ रहा है। प्रधान के पास भी कई बार गए, लेकिन प्रधान ने भी समस्या का कोई हल नहीं निकाला है। लगता है कि गरीबों की कोई भी सुनने वाला नहीं है।
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