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Lucknow News : हाथरस के छह डॉक्टर निलंबित, शव सील करने में रिश्वत मांगने के मामले में निदेशक से स्पष्टीकरण

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Tue, 06 Jun 2023 01:34 AM IST
सार

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी सेवाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है। प्रदेश के सभी सरकारी एवं संबद्ध अस्पतालों में एक ही वार्ड में सभी आपातकालीन सुविधाएं दी जाएंगी।

Six doctors of Hathras suspended, clarification on demanding bribe to seal dead body
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर ड्यूटी से लंबे समय से गायब छह डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया है। ये सभी हाथरस के अलग - अलग अस्पतालों में कार्यरत हैं। जिला महिला चिकित्सालय में कार्यरत त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. मीनल अग्रवाल, एनेस्थेटिस्ट डा. शालिनी गुप्ता, बागला संयुक्त चिकित्सालय की पैथोलॉजिल्ट डा. मोहम्मद राफे, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टिकारी के चिकित्साधिकारी डा. हरिओम श्योरान, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाढपुर के डा. रोहित चक, सीएचसी महौ के डा. आदित्य श्रीवास लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। इन सभी को विभाग की ओर से नोटिस भेजा गया। इसके बाद भी इन्होंने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। पूरे मामले में जिलाधिकारी हाथरस ने भी जानकारी दी। इस पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने तत्काल सभी को निलंबित करने का आदेश दिया है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि मनमानी तरीके से अनुपस्थित चल रहे डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकारी सेवा नियमावली का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बर्खास्तगी की भी कार्रवाई की जाएगी। किसी भी कीमत पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।



उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि डॉक्टर नियमित रूप से तय समय पर अस्पताल में आएं। ओपीडी व भर्ती मरीजों को इलाज उपलब्ध कराएं। सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाए। किसी भी स्थान पर इलाज के एवज में रुपये मांगने की शिकायत मिली तो संबंधित डॉक्टर व कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


इसके अलावा लखनऊ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में शव सील करने के एवज में कर्मचारी द्वारा रुपये मांगने के आरोप लगने पर जांच के आदेश दिए हैं। अस्पताल निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है। इसी तरह मेरठ मेडिकल कॉलेज सहित विभिन्न अस्पतालों से जुड़े मामले में भी जांच के आदेश दिए गए हैं।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी हास्पिटल (सिविल) के पोस्टमार्टम हाउस में शव रखा था। आरोप है कि शव सील करने के एवज में रविवार को यहां के कर्मचारी ने मृतक के परिजनों से 800 रुपये मांगे। मामले की जानकारी मिलने पर उप मुख्यमंत्री ने अस्पताल के निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है। जांच कर दोषी कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। मंगलवार शाम तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

इसी तरह एलएलआर मेरठ मेडिकल कॉलेज में फर्श पर लेटे हुए मरीज का वीडियो वायरल होने के मामले में भी उप मुख्यमंत्री ने जवाब तलब किया है। पूछा है कि किन कारणों से मरीज को बेड नहीं मिला? पूरे मामले में जांच कर सप्ताहभर में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। इसी तरह उन्नाव स्थित रसूलाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती को स्टाफ नर्स द्वारा भर्ती करने से इनकार कर करने और आशा कार्यकत्री द्वारा गर्भवती को निजी अस्पताल में भर्ती कराने के मामले में भी जांच के आदेश दिए हैं। उन्नाव सीएमओ को तीन दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। सीतापुर जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर पर पैसे लेकर मरीज को इलाज उपलब्ध कराने का प्रकरण सामने आया है। इस प्रकरण में भी जांच के आदेश दिए गए हैं।

वार्ड में ही मिलेंगी सभी आपातकालीन सुविधाएं : ब्रजेश पाठक
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी सेवाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है। प्रदेश के सभी सरकारी एवं संबद्ध अस्पतालों में एक ही वार्ड में सभी आपातकालीन सुविधाएं दी जाएंगी। ताकि मरीज के तीमारदार को अलग-अलग वार्डों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। ये सुविधाएं सभी रोगियों को पहले 48 घंटे तक निःशुल्क प्रदान की जाएंगी। इसके लिए जल्द से जल्द सभी तैयारी पूरी की जाएं। यह निर्देश उन्होंने सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित सभागार में चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की सतत संजीवनी सेवा की समीक्षा के दौरान दिए।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में मेडिकल इमरजेंसी सुविधा के ढांचे को दुरुस्त किया जा रहा है। सतत संजीवनी सेवा के जरिए एकीकृत इमरजेंसी चिकित्सा सेवा दी जाएगी। इसके तहत इमरजेंसी वार्ड के अंदर सभी प्रकार की आकस्मिक सेवाएं दी जाएंगी। इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेजों में 30 बेड का इमरजेंसी अस्पताल बनाने की व्यवस्था है। संचालन के लिए एकीकृत कंट्रोल एंड कमांड सेंटर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से विभाग में कार्यरत स्टाफ, दवाएं, उपकरण एवं विभाग की तत्कालिक आवश्यकता के संबंध में विस्तृत जानकारी ली। बैठक में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, स्वास्थ्य महानिदेशक रेनू श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

अलग- अलग श्रेणीबद्ध होगी इमरजेंसी सेवा
उप मुख्यमंत्री ने विभागीय अफसरों को निर्देश दिया कि सभी जिलों के अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अस्पतालों की क्षमता वृद्धि की जाए। सभी अस्पतालों में जरूरी दवाओं, उपकरणों व विशेषज्ञ स्टाफ की समुचित व्यवस्था करें। इमरजेंसी हॉस्पिटल को एल-1, एल-2, एल-3 में श्रेणीबद्ध करके उनका प्रभावी निगरानी किया जाए। ताकि मरीज की जिस स्तर की गंभीरता हो, उसी श्रेणी के अस्पताल में भेजा जाए।

एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने के निर्देश
उप मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कार्यरत एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस को जीपीएस के माध्यम से निगरानी की जाए। इनका प्रयोग इमरजेंसी सेवाओं में ज्यादा किया जाए। इमरजेंसी के लिए ज्यादातर स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाए।

मुख्यमंत्री देंगे रिपोर्ट
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि इमरजेंसी सेवा को लेकर मुख्यमंत्री भी चिता जता चुके हैं। ऐसे में बैठक में बन रही रणनीति के हर बिंदु के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जाएगी। इसके बाद योजना को लेकर अगली कार्रवाई होगी।

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