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SCR in UP: यूपी में बनेंगे सात डेवलपमेंट रीजन, एनसीआर की तर्ज पर लखनऊ में एससीआर बनाने की सिफारिश
अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Sun, 28 May 2023 12:37 PM IST
यूपी में शहरों के विकास के लिए हाई लेबल कमेटी ने यूपी में सात डेवलपमेंट रीजन बनाने की सिफारिश की है। एनसीआर की तर्ज पर लखनऊ में स्टेट कैपिटल रीजन (एससीआर) बनाने की सिफारिश की है। इसमें लखनऊ, कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी, सीतापुर व हरदोई जिलों को शामिल करने का प्रस्ताव है।
शहरी विकास के लिए गठित केंद्र सरकार की हाई लेबल कमेटी ने यूपी में सात डेवलपमेंट रीजन बनाने की सिफारिश राज्य सरकार को भेजी है। इसमें रीजनल प्लानिंग के तहत रिवर फ्रंट डेवलपमेंट व ग्लोबल गेटवे सिस्टम के विकास पर फोकस होगा। रिवर डेवलपमेंट से आवास एवं रोजगार की समस्या हल की जाएगी। राजधानी में दो दिनी रीजनल प्लानिंग कॉन्क्लेव के अंतिम दिन शनिवार को कमेटी के चेयरमैन केशव वर्मा की ओर से ये सिफारिश राज्य सरकार को भेजी गई है। हालांकि केशव ने यह भी कहा है कि डेवलपमेंट रीजन सात की जगह छह भी हो सकते हैं।
केशव ने एनसीआर की तर्ज पर लखनऊ में स्टेट कैपिटल रीजन (एससीआर) बनाने की सिफारिश की है। इसमें लखनऊ, कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी, सीतापुर व हरदोई जिलों को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त छह अन्य डेवलपमेंट रीजन मेरठ, आगरा, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली एवं झांसी में बनाने की सिफारिश की गई है। एससीआर का मुखिया मुख्य सचिव हो सकते हैं। लेकिन अन्य रीजन की जिम्मेदारी मंडलायुक्त को सौंपी जा सकती है। केशव ने कहा कि प्रदेश भर में मेट्रो का संचालन संभव नहीं है। इसमें जितनी पूंजी का निवेश होता है, उतनी आय नहीं हो रही। ऐसे में राज्य सरकार को छोटे शहरों में सुगम आवागमन के लिए ट्रामा सिस्टम को विकसित करना चाहिए। इससे कम पूंजी से लोगों को सस्ता सफर हासिल हो सकेगा।
यूपी में रीजनल प्लानिंग का सही समय
केशव ने कहा कि यूपी में रीजनल प्लानिंग का यह सही समय है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन से निवेश आने का सिलसिला शुरू हुआ है। उद्यमी रियल इस्टेट से लेकर उद्योग में निवेश करने के इच्छुक हैं। प्राधिकरण निवेशकों को जमीन एवं सुविधाएं मुहैया कराए तो प्रदेश की तस्वीर बदल जाएगी। रीजनल प्लानिंग से शहर से लेकर गांव तक के विकास का रास्ता खुल जाएगा। इससे वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की लक्ष्य पूरा होने के साथ ही लोगों को आसानी से आवास व रोजगार मिल सकेंगे।
खुद खोजने होंगे आय के स्रोत
कॉन्क्लेव में केशव ने शासन के अफसरों रंजन कुमार, रणवीर प्रसाद, मंडलायुक्त लखनऊ रोशन जैकब से कहा कि बिल्डिंग क्षमता, प्रशासनिक ढांचा, संस्थानों के आधुनिकीकरण और महत्वपूर्ण शहरों में बेहतर अर्थशास्त्र बनाना बड़ी चुनौती है। बंद हो चुकी फैक्टरी एवं मिलों की जमीनों को प्लानिंग में शामिल कर उनको दोबारा चालू कराएं। ऐसे पार्क बनाएं जिससे आय के स्रोत बढ़ें। स्टेट कैपिटल रीजन के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार कोई आर्थिक मदद नहीं देंगी। अथॉरिटी को ही आय के खुद ही स्रोत खोजकर विकास करना होगा। चर्चा में हाई लेबल कमेटी के सुजाता श्रीकुमार, देश पांडेय, अमिता, विनीत ने भी सुझाव दिए।
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