लखनऊ। संस्कृत साहित्य के माध्यम से जल संरक्षण की बारीकियों और वर्तमान युग के ड्रेनेज फेल्योर से बचाव के सिद्धांतों को समझाने के साथ जीवनपर्यंत संस्कृत की सेवा करने के लिए डॉ. नवलता को महर्षि व्यास पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. नवलता लखनऊ के आशियाना क्षेत्र की निवासी हैं और अब तक इनकी 19 से अधिक पुस्तकें, नाट्य मंचन व समीक्षाएं व अन्य रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ. नवलता की तरह की संस्कृत की सेवा में अपना पूरा जीवन देने वाले 25 संस्कृत के विद्वानों व विदुषियों को बुधवार को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् ने वर्ष 2021 के पुरस्कार देकर सम्मानित किया। गोमतीनगर के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध एवं शोध संस्थान के सभागार में मुख्य अतिथि व प्रमुख सचिव भाषा जितेन्द्र कुमार और विशिष्ट अतिथि संपूर्णानंद विवि वाराणसी के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी व संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव के साथ दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान विदुषियों ने स्वस्ति वाचन, शंख वादन, वेद पाठ, संस्कृत स्वागत गीत व संस्कृत गीत का प्रस्तुतिकरण देकर समां बांध दिया।
मुख्य अतिथि व प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने कहा कि संस्कृत की विभूतियों को सम्मानित कर गौरवान्वित महसूूस कर रहा हूं। निदेशक विनय श्रीवास्तव ने कहा कि संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए जिन मूर्धन्य विद्वानों ने इस भाषा की सेवा की है, वह स्तुति योग्य है। संस्थान की ओर से संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए मिस्डकॉल के माध्यम से ऑनलाइन सरल संस्कृत सम्भाषण प्रशिक्षण, योग प्रशिक्षण शिविर, वास्तु एवं ज्योतिष प्रशिक्षण, एकमासात्मक नाट्य प्रशिक्षण, सिविल सेवा परीक्षा निशुल्क कोचिंग, कम्प्यूटर द्वारा संस्कृत कक्षा संचालन, आवासीय संस्कृत विद्यालयों समेत कई कार्य किए जा रहे हैं।
पुरस्कार पाकर धन्य हूं
संस्कृत संस्थानम् अखिल भारतीय स्तर के 25 पुरस्कारों से विद्वानों का सम्मान करता है। विश्वभारती अंतरराष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार है। पुरस्कार पाकर खुश हूं। इससे पूर्व 2017 में महर्षि व्यास पुरस्कार, 2012 में विशिष्ट पुरस्कार, 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2015 में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला है। वैदेशिकाटनम् महाकाव्य पर 2019 में कालिदास पुरस्कार, 2020 में हिंदी संस्थान का सौहार्द पुरस्कार, 2022 में आईएससी दिल्ली का संस्कृत प्रतिष्ठा सम्मान भी मिल चुका है।
- प्रो. हरिदत्त शर्मा, विश्वभारती पुरस्कार
इन्हें मिला सम्मान
विश्व भारती पुरस्कार- प्रो. हरिदत्त शर्मा, प्रयागराज (पांच लाख एक हजार रुपये)
महर्षि वाल्मीकि पुरस्कार- प्रो. कामता प्रसाद त्रिपाठी पीयूष, प्रतापगढ़, (दो लाख एक हजार रुपये )।
महर्षि व्यास पुरस्कार- डॉ. नवलता, लखनऊ (दो लाख एक हजार रुपये )।
महर्षि नारद पुरस्कार- प्रो. धर्मदत्त चतुर्वेदी, वाराणसी, (एक लाख एक हजार रुपये)
पांच विशिष्ट पुरस्कारों से भी नवाजे गए विद्वान (एक लाख एक हजार रुपये )
प्रो. उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी, वाराणसी
डॉ मुरारी लाल अग्रवाल, गाजियाबादप्रो. ब्रजभूषण ओझा, वाराणसी
प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, वाराणसीडॉ. विनोद राव पाठक, वाराणसी
वेद पंडित पुरस्कार से नवाजे गए विद्वान (इक्यावन हजार रुपये )
- डॉ. अमन्द मिश्र , शिवम कुमार चौबे, अंकित तिवारी, रघुवर प्रसाद शुक्ला, ऋषभ उपाध्याय, विजय कुमार पारिक, आनन्द कुमार तिवारी, विनय कुमार शुक्ला, किरण कुमार, अंकित शुक्ला।
इन विद्वानों को मिला नामित पुरस्कार
पंडा रविंद्र कुमार गदाधर, डॉ. महेश चंद्र शर्मा गौतम, डॉ. पंकज कुमार व्यास, प्रो. रामकृष्ण पांडेय परमहंस व डॉ श्रीरामा ए एस। इनके साथ प्रो. कामता प्रसाद त्रिपाठी को विशेष पुरस्कार से भी नवाजा गया।