न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Updated Wed, 13 Jan 2021 10:43 PM IST
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समाजवादी पार्टी ने बुधवार को विधान परिषद चुनाव के लिए दो प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। सपा ने अभी तक उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन और पूर्व मंत्री व राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी को चुनाव में उतारा है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने विधायकों के साथ बैठक करके विधान परिषद चुनाव की रणनीति पर मंथन कर दोनों को जिताने का जिम्मा विधायकों को सौंपा है।
सपा ने अहमद हसन को पांचवीं बार एमएलसी चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी 88 वर्षीय हसन चार बार विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं। वह मुलायम सिंह और अखिलेश यादव की सरकार में काबीना मंत्री रहे हैं। फिलहाल वह विधान परिषद में नेता विरोधी दल हैं। राजेन्द्र चौधरी सपा के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार हैं। मेरठ विश्वविद्यालय से छात्र नेता के तौर पर राजनीति पारी की शुरुआत करने वाले 73 वर्षीय राजेन्द्र चौधरी 1969 में पहली बार आंदोलन में जेल गए थे। उस समय वह समाजवादी युवजन सभा से जुड़े हुए थे।
चौधरी चरण सिंह ने उन्हें 1974 में पहली बार भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) प्रत्याशी के रूप में गाजियाबाद से विधानसभा का टिकट दिया था। वह सबसे कम उम्र के प्रत्याशी थे, हालांकि चुनाव हार गए थे। 1977 में वह पहली बार विधायक चुने गए। इस दौरान वह जनता पार्टी की यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। चौधरी समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं। अखिलेश यादव सरकार में वह एमएलसी और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
विधान सभा में सपा विधायकों की कुल संख्या 49 है। अपने दम पर सपा पार्टी एक प्रत्याशी आसानी से जिता सकती है। इसके बाद उसके पास लगभग 17 वोट बचेंगे। दूसरे उम्मीदवार को जिताने केलिए सपा को कम से कम 14 मतों की व्यवस्था करनी होगी। यदि सपा के दो-तीन विधायकों ने क्रास वोटिंग की तो 17 मतों की जरूरत पड़ेगी। सपा को बसपा की बगावत के साथ ही सुभासपा व कांग्रेस के वोटों से उम्मीद है। सपा नेताओं का दावा है कि भाजपा के कई विधायक उनके संपर्क में हैं। सपा अध्यक्ष ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय के सभागार में विधायकों के साथ बैठक करके चुनावी रणनीति बनाई। इसी बैठक में उन्होंने हसन व चौधरी को उम्मीदवार बनाए जाने की जानकारी दी।
कल नामांकन करेंगे सपा प्रत्याशी
सपा प्रत्याशियों के लिए नामांकन फार्म खरीद लिए गए हैं। अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को फिर विधायकों की बैठक बुलाई है। तय हो गया है कि कौन विधायक. किस प्रत्याशी का प्रस्तावक होगा। बृहस्पतिवार को नामांकन फार्म पर उनके हस्ताक्षर करा लिए जाएंगे। हालांकि, सपा ने अधिकृत तौर पर घोषणा नहीं की है लेकिन 15 जनवरी को सपा प्रत्याशी पार्टी कार्यालय से जुलूस के रूप में विधानसभा सचिवालय जाकर नामांकन दाखिल करेंगे।
भाजपा ने 11 प्रत्याशी उतारे तो होगा मतदान
विधान परिषद की 12 सीटों पर 29 जनवरी को होने वाले मतदान के लिए नामांकन पत्र 18 जनवरी तक भरे जाएंगे। इस चुनाव में भाजपा के 10 प्रत्याशी आसानी से जीत सकते हैं। यदि भाजपा ने 11वां प्रत्याशी भी उतारा तो चुनाव होना तय है। अब सभी की नजरें भाजपा पर टिकी हैं। वह 10 अधिकृत प्रत्याशी उतारकर 11वें निर्दलीय उम्मीदवार को भी समर्थन दे सकती है। अन्य कोई दल अपने भरोसे चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है। बसपा के 18 विधायक हैं। इनमें रामवीर उपाध्याय को निलंबित किया जा चुका है जबकि सपा से नजदीकी के चलते आधा दर्जन बसपा विधायकों को नोटिस जारी किया गया है। एक बसपा विधायक के पति और दूसरी की पत्नी सपा में शामिल हो चुकी हैं।
शिवपाल पर रहेगी नजर
यूं तो सपा विधायक नितिन अग्रवाल पार्टी से बगावत कर चुके हैं। दूसरे दलों में भी कई बागी हैं लेकिन इस चुनाव में नजरें शिवपाल सिंह यादव पर रहेंगी। वह सपा विधायक हैं और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष भी हैं। विधान परिषद चुनाव में वह सपा उम्मीदवारों को वोट देंगे या नहीं, इसे लेकर सभी की उत्सुकता बनी हुई है। इसी से उनकी भावी राजनीति का संकेत भी मिलेगा।
समाजवादी पार्टी ने बुधवार को विधान परिषद चुनाव के लिए दो प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। सपा ने अभी तक उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन और पूर्व मंत्री व राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी को चुनाव में उतारा है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने विधायकों के साथ बैठक करके विधान परिषद चुनाव की रणनीति पर मंथन कर दोनों को जिताने का जिम्मा विधायकों को सौंपा है।
सपा ने अहमद हसन को पांचवीं बार एमएलसी चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी 88 वर्षीय हसन चार बार विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं। वह मुलायम सिंह और अखिलेश यादव की सरकार में काबीना मंत्री रहे हैं। फिलहाल वह विधान परिषद में नेता विरोधी दल हैं। राजेन्द्र चौधरी सपा के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार हैं। मेरठ विश्वविद्यालय से छात्र नेता के तौर पर राजनीति पारी की शुरुआत करने वाले 73 वर्षीय राजेन्द्र चौधरी 1969 में पहली बार आंदोलन में जेल गए थे। उस समय वह समाजवादी युवजन सभा से जुड़े हुए थे।
चौधरी चरण सिंह ने उन्हें 1974 में पहली बार भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) प्रत्याशी के रूप में गाजियाबाद से विधानसभा का टिकट दिया था। वह सबसे कम उम्र के प्रत्याशी थे, हालांकि चुनाव हार गए थे। 1977 में वह पहली बार विधायक चुने गए। इस दौरान वह जनता पार्टी की यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। चौधरी समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं। अखिलेश यादव सरकार में वह एमएलसी और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
अखिलेश यादव ने संभाली चुनाव की कमान
विधान सभा में सपा विधायकों की कुल संख्या 49 है। अपने दम पर सपा पार्टी एक प्रत्याशी आसानी से जिता सकती है। इसके बाद उसके पास लगभग 17 वोट बचेंगे। दूसरे उम्मीदवार को जिताने केलिए सपा को कम से कम 14 मतों की व्यवस्था करनी होगी। यदि सपा के दो-तीन विधायकों ने क्रास वोटिंग की तो 17 मतों की जरूरत पड़ेगी। सपा को बसपा की बगावत के साथ ही सुभासपा व कांग्रेस के वोटों से उम्मीद है। सपा नेताओं का दावा है कि भाजपा के कई विधायक उनके संपर्क में हैं। सपा अध्यक्ष ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय के सभागार में विधायकों के साथ बैठक करके चुनावी रणनीति बनाई। इसी बैठक में उन्होंने हसन व चौधरी को उम्मीदवार बनाए जाने की जानकारी दी।
कल नामांकन करेंगे सपा प्रत्याशी
सपा प्रत्याशियों के लिए नामांकन फार्म खरीद लिए गए हैं। अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को फिर विधायकों की बैठक बुलाई है। तय हो गया है कि कौन विधायक. किस प्रत्याशी का प्रस्तावक होगा। बृहस्पतिवार को नामांकन फार्म पर उनके हस्ताक्षर करा लिए जाएंगे। हालांकि, सपा ने अधिकृत तौर पर घोषणा नहीं की है लेकिन 15 जनवरी को सपा प्रत्याशी पार्टी कार्यालय से जुलूस के रूप में विधानसभा सचिवालय जाकर नामांकन दाखिल करेंगे।
भाजपा ने 11 प्रत्याशी उतारे तो होगा मतदान
विधान परिषद की 12 सीटों पर 29 जनवरी को होने वाले मतदान के लिए नामांकन पत्र 18 जनवरी तक भरे जाएंगे। इस चुनाव में भाजपा के 10 प्रत्याशी आसानी से जीत सकते हैं। यदि भाजपा ने 11वां प्रत्याशी भी उतारा तो चुनाव होना तय है। अब सभी की नजरें भाजपा पर टिकी हैं। वह 10 अधिकृत प्रत्याशी उतारकर 11वें निर्दलीय उम्मीदवार को भी समर्थन दे सकती है। अन्य कोई दल अपने भरोसे चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है। बसपा के 18 विधायक हैं। इनमें रामवीर उपाध्याय को निलंबित किया जा चुका है जबकि सपा से नजदीकी के चलते आधा दर्जन बसपा विधायकों को नोटिस जारी किया गया है। एक बसपा विधायक के पति और दूसरी की पत्नी सपा में शामिल हो चुकी हैं।
शिवपाल पर रहेगी नजर
यूं तो सपा विधायक नितिन अग्रवाल पार्टी से बगावत कर चुके हैं। दूसरे दलों में भी कई बागी हैं लेकिन इस चुनाव में नजरें शिवपाल सिंह यादव पर रहेंगी। वह सपा विधायक हैं और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष भी हैं। विधान परिषद चुनाव में वह सपा उम्मीदवारों को वोट देंगे या नहीं, इसे लेकर सभी की उत्सुकता बनी हुई है। इसी से उनकी भावी राजनीति का संकेत भी मिलेगा।