लखनऊ। हाई स्पीड गाड़ियों से लेकर ट्रेनों की सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए बजट में अनुसंधान पर फोकस किया गया है। इसके लिए अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) का बजट 22 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। पिछले बजट में जहां इसे 70 करोड़ रुपये मिले थे, अब इसे 86 करोड़ कर दिया गया है।
महानिदेशक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि आरडीएसओ इस वक्त रेल हादसे रोकने के लिए टीकास सिस्टम, टेलीमेट्री सिस्टम, हाईस्पीड ट्रेन व कॉरिडोर से लेकर कई योजनाओं पर काम कर रहा है। एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रशासन आशीष अग्रवाल ने कहा कि आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ते जा रहे हैं।
गार्ड की जगह लेगी मशीन
वीरेंद्र कुमार ने बताया कि आरडीएसओ ने एंड ऑफ ट्रेन टेलीमेट्री सिस्टम विकसित किया है। इससे गार्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी। अभी बोगी में दिक्कत आने पर पहले गार्ड को पता लगता है, फिर उसकी जानकारी लोको पायलट को मिलती है। यह सिस्टम कपलिंग खुलने या एयर पाइप में दिक्कत होने पर तत्काल लोको पायलट को सूचना देगा, जिससे हादसे रुकेंगे। पूर्व तटीय रेलवे व दक्षिण पूर्व रेलवे में इसका ट्रायल चल रहा है।
रेल हादसे रोकेगा टीकास
आरडीएसओ में टीकास (ट्रेन कोलिजन एवॉयडेंस सिस्टम) सिस्टम विकसित किया गया है। जिन रेलखंडों पर भार अधिक है, वहां इन्हें फिट किया जा रहा है। इसकी अनुमति मिल चुकी है। इस सिस्टम में लोको पायलट को सिग्नल की पोजिशन व ट्रैक पर आने वाले खतरों की पहले ही जानकारी मिल जाएगी, जिससे दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी। बजट में इस तकनीकी को पूरी तरह से विकसित कर लागू करने के लिए भी राशि दी गई है।
466 करोड़ डेडीकेटेड टेस्ट कॉरिडोर को
बोगियों व इंजन की टेस्टिंग के लिए आरडीएसओ डेडीकेटेड टेस्ट कॉरिडोर पर काम कर रहा है। जोधपुर से जयपुर के बीच दूसरे चरण के कॉरिडोर के लिए इस बार बजट में 466 करोड़ रुपये की संस्तुति हुई है। वहीं, आरडीएसओ क्यूब कंटेनरों की डिजाइन पर काम कर रहा है, इससे रेल यातायात पर होने वाले खर्च में 15 से 20 प्रतिशत की कमी होगी। ये क्यूब कंटेनर इस्तेमाल करने में भी आसान होंगे। इससे व्यापारियों को राहत मिलेगी।
दो इंजन वाली ट्रेनों का संचालन होगा आसान
ऐसे रेलखंडों पर जहां ट्रेनों में दो या तीन इंजन लगाने पड़ते हैं, वहां संचालन बेहतर बनाने के लिए आरडीएसओ डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रहा है। बजट में इसके लिए प्राविधान किया गया है। पूर्वी रेल जोन की छह-सात ट्रेनों में लगाकर इसकी टेस्टिंग भी चल रही है। इससे लोको पायलट सारे इंजनों को कमांड दे सकेंगे और मैनपावर भी कम लगेगा। इसके अलावा 12000 हॉर्स पावर के इंजनों को भी अत्याधुनिक बनाया जाएगा।
आईआईटियन की मदद से उन्नत होगी रेल
आरडीएसओ आईआईटी व साइंस कॉग्रेस से एमओयू कर रहा है। इनकी मदद से रेल को उन्नत बनाया जा सकेगा। वहीं, ट्रैक की उम्र बढ़ाने व बोगियों की देखरेख के लिए आरडीएसओ व्हील कंडीशन मॉनिटरिंग सिस्टम पर काम कर रहा है। इसमें ट्रैक के नीचे फाइबर ऑप्टिक सेंसर लगाए जाएंगे। जब बोगियां या वैगन इससे गुजरेंगे तो उस पर पड़ने वाले भार के साथ बोगी की जानकारी मिल जाएगी। ऐसे में बोगी में कमी हुई तो उसे तत्काल ठीक करवाया जा सकेगा।
130 किमी की रफ्तार से दौड़ेंगी सवारी गाड़ियां
मिशन रफ्तार में आरडीएसओ मेल-एक्सप्रेस व सवारी गाड़ियों की रफ्तार बढ़ाने पर काम कर रहा है। महानिदेशक ने बताया कि सवारी गाड़ियों की रफ्तार 130 किमी प्रति घंटा की जाएगी। इसके लिए नई दिल्ली-हावड़ा व नई दिल्ली-मुंबई रूट पर ट्रायल चल रहे हैं। हाईस्पीड ट्रेन की रफ्तार 160 किमी की जाएगी। पहले 638 आइटमों पर आरडीएसओ का कंट्रोल था, इसे घटाकर 360 कर दिया गया है। इससे आत्मनिर्भरता व सहभागिता बढ़ेगी। वहीं, आरडीएसओ करोड़ों की नई मशीनें-ट्रैक व्हीकल, स्विच रेल ट्रांसपोर्टेशन वैगन, बैलास्ट क्लीयरिंग मशीन खरीदेगा।
लखनऊ। हाई स्पीड गाड़ियों से लेकर ट्रेनों की सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए बजट में अनुसंधान पर फोकस किया गया है। इसके लिए अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) का बजट 22 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। पिछले बजट में जहां इसे 70 करोड़ रुपये मिले थे, अब इसे 86 करोड़ कर दिया गया है।
महानिदेशक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि आरडीएसओ इस वक्त रेल हादसे रोकने के लिए टीकास सिस्टम, टेलीमेट्री सिस्टम, हाईस्पीड ट्रेन व कॉरिडोर से लेकर कई योजनाओं पर काम कर रहा है। एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रशासन आशीष अग्रवाल ने कहा कि आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ते जा रहे हैं।
गार्ड की जगह लेगी मशीन
वीरेंद्र कुमार ने बताया कि आरडीएसओ ने एंड ऑफ ट्रेन टेलीमेट्री सिस्टम विकसित किया है। इससे गार्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी। अभी बोगी में दिक्कत आने पर पहले गार्ड को पता लगता है, फिर उसकी जानकारी लोको पायलट को मिलती है। यह सिस्टम कपलिंग खुलने या एयर पाइप में दिक्कत होने पर तत्काल लोको पायलट को सूचना देगा, जिससे हादसे रुकेंगे। पूर्व तटीय रेलवे व दक्षिण पूर्व रेलवे में इसका ट्रायल चल रहा है।
रेल हादसे रोकेगा टीकास
आरडीएसओ में टीकास (ट्रेन कोलिजन एवॉयडेंस सिस्टम) सिस्टम विकसित किया गया है। जिन रेलखंडों पर भार अधिक है, वहां इन्हें फिट किया जा रहा है। इसकी अनुमति मिल चुकी है। इस सिस्टम में लोको पायलट को सिग्नल की पोजिशन व ट्रैक पर आने वाले खतरों की पहले ही जानकारी मिल जाएगी, जिससे दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी। बजट में इस तकनीकी को पूरी तरह से विकसित कर लागू करने के लिए भी राशि दी गई है।
466 करोड़ डेडीकेटेड टेस्ट कॉरिडोर को
बोगियों व इंजन की टेस्टिंग के लिए आरडीएसओ डेडीकेटेड टेस्ट कॉरिडोर पर काम कर रहा है। जोधपुर से जयपुर के बीच दूसरे चरण के कॉरिडोर के लिए इस बार बजट में 466 करोड़ रुपये की संस्तुति हुई है। वहीं, आरडीएसओ क्यूब कंटेनरों की डिजाइन पर काम कर रहा है, इससे रेल यातायात पर होने वाले खर्च में 15 से 20 प्रतिशत की कमी होगी। ये क्यूब कंटेनर इस्तेमाल करने में भी आसान होंगे। इससे व्यापारियों को राहत मिलेगी।
दो इंजन वाली ट्रेनों का संचालन होगा आसान
ऐसे रेलखंडों पर जहां ट्रेनों में दो या तीन इंजन लगाने पड़ते हैं, वहां संचालन बेहतर बनाने के लिए आरडीएसओ डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रहा है। बजट में इसके लिए प्राविधान किया गया है। पूर्वी रेल जोन की छह-सात ट्रेनों में लगाकर इसकी टेस्टिंग भी चल रही है। इससे लोको पायलट सारे इंजनों को कमांड दे सकेंगे और मैनपावर भी कम लगेगा। इसके अलावा 12000 हॉर्स पावर के इंजनों को भी अत्याधुनिक बनाया जाएगा।
आईआईटियन की मदद से उन्नत होगी रेल
आरडीएसओ आईआईटी व साइंस कॉग्रेस से एमओयू कर रहा है। इनकी मदद से रेल को उन्नत बनाया जा सकेगा। वहीं, ट्रैक की उम्र बढ़ाने व बोगियों की देखरेख के लिए आरडीएसओ व्हील कंडीशन मॉनिटरिंग सिस्टम पर काम कर रहा है। इसमें ट्रैक के नीचे फाइबर ऑप्टिक सेंसर लगाए जाएंगे। जब बोगियां या वैगन इससे गुजरेंगे तो उस पर पड़ने वाले भार के साथ बोगी की जानकारी मिल जाएगी। ऐसे में बोगी में कमी हुई तो उसे तत्काल ठीक करवाया जा सकेगा।
130 किमी की रफ्तार से दौड़ेंगी सवारी गाड़ियां
मिशन रफ्तार में आरडीएसओ मेल-एक्सप्रेस व सवारी गाड़ियों की रफ्तार बढ़ाने पर काम कर रहा है। महानिदेशक ने बताया कि सवारी गाड़ियों की रफ्तार 130 किमी प्रति घंटा की जाएगी। इसके लिए नई दिल्ली-हावड़ा व नई दिल्ली-मुंबई रूट पर ट्रायल चल रहे हैं। हाईस्पीड ट्रेन की रफ्तार 160 किमी की जाएगी। पहले 638 आइटमों पर आरडीएसओ का कंट्रोल था, इसे घटाकर 360 कर दिया गया है। इससे आत्मनिर्भरता व सहभागिता बढ़ेगी। वहीं, आरडीएसओ करोड़ों की नई मशीनें-ट्रैक व्हीकल, स्विच रेल ट्रांसपोर्टेशन वैगन, बैलास्ट क्लीयरिंग मशीन खरीदेगा।