पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
थोक मंडियों में आलू के गिरती कीमतें चिंता का सबब बन गई हैं। कई मंडियों में दाम लागत से नीचे आ गए हैं। उद्यान निदेशालय ने बाजार हस्तक्षेप योजना लागू करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। राज्य में इस योजना को लागू करने की अनुमति केंद्र सरकार देती है।
प्रदेश में वर्तमान में आलू की लागत 730 रुपये प्रति क्विंटल आ रही है, जबकि फर्रुखाबाद समेत कई जिलों की मंडियों में आलू के रेट 500 से 800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। नियम है कि विगत वर्ष की तुलना में औद्यानिकी फसलों का उत्पादन 10 प्रतिशत अधिक हो या बाजार भाव में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हो, तो बाजार हस्तक्षेप योजना लागू की जा सकती है।
उद्यान निदेशालय ने शासन को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि फरवरी व मार्च में आलू की अधिक आवक होने के कारण दाम में अत्याधिक गिरावट देखी जाती है। वर्ष 2020 को छोड़ दें तो किसी भी बार इन दो माह में आलू का वाजिब दाम किसानों को नहीं मिला है। इसलिए यह जरूरी है कि समय रहते बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत आलू खरीदने की औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं।
दिसंबर में आलू के औसत थोक बाजार भाव 845 से 1360 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहे हैं। जनवरी में इसमें और भी गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले साल के मुकाबले इस बार 35 लाख मीट्रिक टन अधिक उत्पादन का अनुमान है। पिछले साल बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत सरकार ने दो लाख मीट्रिक टन आलू खरीद का लक्ष्य रखा था, लेकिन बाजार भाव अधिक होने के कारण आलू नहीं खरीदा गया। उद्यान विभाग ने शासन से अनुरोध किया है कि इस बार खरीद करने वाली संस्थाओं और खरीदे जाने वाले आलू की मात्रा में आवश्यकतानुसार वृद्धि कर दी जाए।
क्या है नियम
भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत नामित संस्थाएं लागत मूल्य पर आलू खरीद सकती हैं। नुकसान की सीमा अधिकतम 25 प्रतिशत तक रह सकती है। इस नुकसान की 50 प्रतिशत भरपाई राज्य सरकार और शेष 50 प्रतिशत की भरपाई केंद्र सरकार करती है।
प्रमुख मंडियों में बुधवार को आलू के थोक रेट (रुपये/क्विंटल)
लखनऊ : 800-100
कानपुर ग्रेन : 675-750
हरगांव (लहरपुर) : 700-900
सुल्तानपुर : 700-850
फैजाबाद : 750-850
कमलागंज : 500-600
फर्रूखाबाद : 600-800
प्रतापगढ़ : 680-725
(स्रोत : एगमार्ट मंडी रेट्स)
थोक मंडियों में आलू के गिरती कीमतें चिंता का सबब बन गई हैं। कई मंडियों में दाम लागत से नीचे आ गए हैं। उद्यान निदेशालय ने बाजार हस्तक्षेप योजना लागू करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। राज्य में इस योजना को लागू करने की अनुमति केंद्र सरकार देती है।
प्रदेश में वर्तमान में आलू की लागत 730 रुपये प्रति क्विंटल आ रही है, जबकि फर्रुखाबाद समेत कई जिलों की मंडियों में आलू के रेट 500 से 800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। नियम है कि विगत वर्ष की तुलना में औद्यानिकी फसलों का उत्पादन 10 प्रतिशत अधिक हो या बाजार भाव में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हो, तो बाजार हस्तक्षेप योजना लागू की जा सकती है।
उद्यान निदेशालय ने शासन को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि फरवरी व मार्च में आलू की अधिक आवक होने के कारण दाम में अत्याधिक गिरावट देखी जाती है। वर्ष 2020 को छोड़ दें तो किसी भी बार इन दो माह में आलू का वाजिब दाम किसानों को नहीं मिला है। इसलिए यह जरूरी है कि समय रहते बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत आलू खरीदने की औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं।
दिसंबर में आलू के औसत थोक बाजार भाव 845 से 1360 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहे हैं। जनवरी में इसमें और भी गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले साल के मुकाबले इस बार 35 लाख मीट्रिक टन अधिक उत्पादन का अनुमान है। पिछले साल बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत सरकार ने दो लाख मीट्रिक टन आलू खरीद का लक्ष्य रखा था, लेकिन बाजार भाव अधिक होने के कारण आलू नहीं खरीदा गया। उद्यान विभाग ने शासन से अनुरोध किया है कि इस बार खरीद करने वाली संस्थाओं और खरीदे जाने वाले आलू की मात्रा में आवश्यकतानुसार वृद्धि कर दी जाए।
क्या है नियम
भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत नामित संस्थाएं लागत मूल्य पर आलू खरीद सकती हैं। नुकसान की सीमा अधिकतम 25 प्रतिशत तक रह सकती है। इस नुकसान की 50 प्रतिशत भरपाई राज्य सरकार और शेष 50 प्रतिशत की भरपाई केंद्र सरकार करती है।
प्रमुख मंडियों में बुधवार को आलू के थोक रेट (रुपये/क्विंटल)
लखनऊ : 800-100
कानपुर ग्रेन : 675-750
हरगांव (लहरपुर) : 700-900
सुल्तानपुर : 700-850
फैजाबाद : 750-850
कमलागंज : 500-600
फर्रूखाबाद : 600-800
प्रतापगढ़ : 680-725
(स्रोत : एगमार्ट मंडी रेट्स)