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निकाय चुनाव : जातिगत सर्वे को लेकर मिल रहीं सर्वाधिक आपत्तियां, महिलाओं के आरक्षण को लेकर भी जिक्र
अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Sat, 10 Dec 2022 09:56 AM IST
सार
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निकाय चुनाव के लिए जारी की गई आरक्षण सूची के बाद जिलों के अलावा शासन स्तर पर निस्तारण की विशेष व्यवस्था की गई है। महापौर व अध्यक्षों के आरक्षण पर 12 दिसबर तक आपित्तयां ली जाएंगी
नगर निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटा नगर विकास विभाग सीटों और वार्डों के आरक्षण को लेकर मिल रही आपत्तियों के निस्तारण को लेकर हलकान है। उधर, नगर निगमों में महापौर और नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों में अध्यक्ष की सीटों के अलावा वार्डों के आरक्षण पर आपत्तियां आने का सिलसिला जारी है। ज्यादातर आपत्तियां आबादी की गणना (रैपिड सर्वे) को लेकर आ रही हैं। इसके मद्देनजर जिलों के अलावा शासन स्तर पर भी आपत्तियां दर्ज कर उसके निस्तारण की विशेष व्यवस्था की गई है।
गौरतलब है कि नगर विकास विभाग ने वार्डों के आरक्षण की अधिसूचना एक और दो दिसंबर को जारी किया था। पहले दिन 48 और दूसरे दिन 27 जिलों के निकायों के वार्डों का आरक्षण जारी किया गया था। जबकि महापौर और अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण की अधिसूचना 5 दिसंबर को जारी की गई थी। दोनों आरक्षणों में अधिसूचना जारी होने की तिथि से सात दिन के भीतर आपत्तियां और सुझाव मांगे गए थे। इस लिहाज से वार्डों के आरक्षण पर आपत्तियां देने की समयसीमा समाप्त हो चुकी है। जबकि महापौर व अध्यक्षों के आरक्षण पर 12 दिसंबर तक आपत्तियां ली जाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक अब तक की आपत्तियों में सर्वाधिक आपत्तियां जातिगत सर्वे को लेकर आई है। कई जिलों से वार्डों के आरक्षण में जाति की संख्या के अनुरूप आरक्षण नहीं होने की भी बात कही गई है। इसी प्रकार महापौर और अध्यक्षों की सीटों के लिए जारी आरक्षण पर भी तमाम आपत्तियां मिली हैं। खासतौर पर महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को लेकर भी कई आपत्तियां आई हैं। कई में महिलाओं के लिए तय 33 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिए जाने की भी बात कही गई है। वहीं कुछ आपत्तियों में महिलाओं को 50 फीसदी तक आरक्षण दिए जाने का भी उल्लेख है।
उधर ऐसी तमाम आपत्तियों के निस्तारण के लिए शासन स्तर भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। सभी आपत्तियों को अनुभाग एक में रजिस्टर में दर्ज कर जिलेवार सत्यापन कराया जा रहा है। सीटों और वार्डों के आरक्षण पर मिल रहीं आपत्तियों को सूचीबद्ध किया जा रहा है। यह देखा जा रहा है कि नियमत: आपत्तियां कितनी सही हैं। गलत आपत्तियों को खारिज कर दिया जाएगा और सही आपत्तियों पर जरूरत के आधार पर संशोधन किया जाएगा।
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