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नदवायां छात्रा: पठिष्यन्ति संस्कृतम् कुरान की आयतों संग श्लोक भी बोलेंगे नदवा के छात्र, डिप्लोमा कोर्स भी होगा

मोहम्मद इरफान, अमर उजाला, लखनऊ Published by: शाहरुख खान Updated Tue, 30 May 2023 08:44 AM IST
सार

इस्लामिक शिक्षा के लिए दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखने वाले लखनऊ के नदवा में छात्रों को कुरान, हदीस, इस्लामिक स्टडीज, फारसी के अलावा निसानियात यानी भाषा और पत्रकारिता विभाग में अरबी, उर्दू, अंग्रेजी के अलावा हिंदी, अंग्रेजी स्पीकिंग की शिक्षा दी जाती है। अब नदवा प्रबंधन जल्द ही संस्कृत में डिप्लोमा कोर्स शुरू करेगा।

Nadwa students will also recite verses in Sanskrit along with the verses of Quran in lucknow
कुरान की आयतों संग श्लोक भी बोलेंगे नदवा के छात्र - फोटो : फेसबुक

विस्तार
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दारुल उलूम नदवातुल उलमा (नदवा) के तुलबा (विद्यार्थी) आसमानी किताब कुरान की आयतों के साथ देव भाषा संस्कृत के श्लोक भी पढ़ेंगे। अलग-अलग भाषा सीखने का शौक रखने वाले तुलबा के लिए नदवा प्रबंधन जल्द ही संस्कृत में डिप्लोमा कोर्स शुरू करेगा।


इस्लामिक शिक्षा के लिए दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखने वाले लखनऊ के नदवा में छात्रों को कुरान, हदीस, इस्लामिक स्टडीज, फारसी के अलावा निसानियात यानी भाषा और पत्रकारिता विभाग में अरबी, उर्दू, अंग्रेजी के अलावा हिंदी, अंग्रेजी स्पीकिंग की शिक्षा दी जाती है। 


नदवा के सचिव व प्रबंधक मौलाना जाफर हसनी नदवी का कहना है कि तमाम विद्यार्थी संस्कृत पढ़ने की ख्वाहिश रखते हैं। नदवा में अरबी के विद्वान स्व. मौलाना हिफजुर्रहमान को संस्कृत और फ्रेंच भाषा में महारत हासिल थी। संस्कृत पढ़ने के शौकीन तुलबा को वे रात आठ बजे संस्कृत पढ़ाते थे, लेकिन यह सिर्फ शौक तक ही सीमित था। 

पिछले साल उनका इंतकाल होने के बाद से संस्कृत पढ़ाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में अब डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की तैयारी चल रही है। इससे छात्र इस्लाम के अलावा हिंदू धर्म के मूल ग्रंथों को को भी आसानी से समझ सकेंगे। शुरू में संस्कृत का एक शिक्षक रखा जाएगा। विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने पर शिक्षकों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।

100 साल पहले होती थी संस्कृत की पढ़ाई

नदवा में 118 साल पहले संस्कृत की शिक्षा देने के लिए कक्षाएं संचालित की जाती थीं। कलकत्ता विवि से नदवा पर पीएचडी करने वाले डाॅ. उबैद उर रहमान बताते हैं कि यहां 1905 में पाठयक्रम में अंग्रेजी अनिवार्य तौर पर शामिल किया था। यही समय था जब यहां संस्कृत की पढ़ाई शुरू हुई थी। हालांकि यह अनिवार्य विषय नहीं था। संस्कृत के लिए दो शिक्षकों की नियुक्ति भी की गई थी।
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