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यूपीकॉन में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने दी जानकारी
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष प्रो. एसपी जायसवार के अनुसार बार-बार गर्भधारण करने से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए दो बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए। समय से जांच होने पर इसका इलाज आसानी से हो सकता है। प्रो. जायसवार केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में तीन दिवसीय यूपीकॉन-2023 के दौरान बोल रहीं थीं। यूपीकॉन का आयोजन लखनऊ अब्सट्रेक्टस एंड गायनकोलॉजिस्ट सोसाइटी (एलओजीएस) और गायनी एकेडमिक वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से किया गया।
प्रो. जायसवार ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए नौ से 15 साल की बेटियों को एचपीवी से बचाव की वैक्सीन लगवानी चाहिए। नौ से 15 साल की उम्र में वैक्सीन की एक डोज ही पर्याप्त है। 15 साल से अधिक की उम्र की युवतियों को वैक्सीन की तीन डोज लगवाने की सलाह दी जाती है। महिलाओं में बढ़ते बांझपन पर उनका कहना था कि कॅरियर और अन्य कारणों से युवतियों की शादी में देरी हो रही है। इसकी वजह से महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ रही है। 35 साल की उम्र के बाद गर्भधारण करने में समस्या होती है।
यूपीकॉन की आयोजक सचिव डॉ. प्रीति कुमार ने कहा कि शादी और मां बनने की सबसे अच्छी उम्र 20 से 25 साल है। 26 से 30 साल को दूसरी अच्छी उम्र मानी जाती है। 35 की उम्र के बाद गर्भधारण करने में अड़चन आती है। डॉ. प्रीति के मुताबिक गर्भधारण करने में समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इलाज में देर होने पर समस्या गंभीर हो जाती है। आईवीएफ समेत इलाज की दूसरी तकनीक सूनी गोद भर सकती हैं, पर इसकी भी सीमाएं हैं।
भोजन में पोषक तत्वों की कमी न हो
काॅन्फ्रेंस की चेयरपर्सन डॉ. चन्द्रावती ने बताया कि अनियमित जीवनशैली, असंतुलित खानपान व भोजन में पोषक तत्वों की कमी भी बांझपन की समस्या में वृद्धि की वजह है। उन्होंने बताया कि खान-पान दुरुस्त रखें। हरी पत्तेदार सब्जियां खायें। फलों का नियमित सेवन करें। गाजर, चुकंदर, सेब व दूसरे मौसमी फल के सेवन से सेहत ठीक रहती है। उन्होंने बताया कि जननांगों में संक्रमण भी बांझपन का एक प्रमुख कारण है।
गर्भावस्था में सक्रिय रहना भी जरूरी
महाराष्ट्र से आईं डॉ. पूनम शिवकुमार ने कहा कि एक आम धारणा है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सिर्फ आराम करना चाहिए। यह आधा सच है। गर्भावस्था के दौरान आराम जरूरी है पर साथ ही सक्रियता भी उतनी ही अहम है। इस दौरान महिला को पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन करना चाहिए। एक साथ खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा भोजन कई बार करना फायदेमंद साबित होता है।