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Lucknow News : लखनऊ की 10 में से चार नगर पंचायतों की बागडोर महिलाओं के हाथ में होगी

माई सिटी रिपोर्टर, अमर उजाला, लखनऊ Published by: लखनऊ ब्यूरो Updated Fri, 31 Mar 2023 10:42 AM IST
सार

लखनऊ में इस बार भी कोई महिला ही शहर की सरताज बनेगी। सरकार ने महापौर के पद को महिला के लिए आरक्षित कर दिया है। ओबीसी आरक्षण को लेकर उठे विवाद से पहले बीते साल इस पद को अनारक्षित घोषित किया था, लेकिन अब सरकार ने अपना फैसला पलट दिया है।

mayor seat reserved for woman second time lucknow
निकाय चुनाव - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

शासन की अधिसूचना के बाद लखनऊ की 10 नगर पंचायतों में भी समीकरण बदले हुए दिख रहे हैं। चार नगर पंचायतों की चेयरमैन सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है। तीन नगर पंचायतों की सीट अनारक्षित रहेगी, जबकि दो नगर पंचायतों में अनुसूचित जाति व एक में ओबीसी के लिए सीट आरक्षित की गई है।



काकोरी में निवर्तमान चेयरमैन दौड़ से बाहर
काकोरी नगर पंचायत की सीट अनारक्षित से बदलकर पिछड़ा वर्ग में अधिसूचित की गई है। ऐसे में चुनाव की तैयारी में लगे निवर्तमान चेयरमैन असमी खान सहित कई दावेदार दौड़ से बाहर हो गए हैं। मलिहाबाद की सीट महिला अनारक्षित हो गई है। आजादी के बाद से ही यहां चेयरमैन की कुर्सी अनारक्षित श्रेणी में ही रही है। सीमा विस्तार के बाद जारी हुई आरक्षण सूची में सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हो गई थी। ऐसे में यहां की राजनीति में बदलाव की उम्मीद दिखी थी, लेकिन नई जारी सूची में यह सीट सामान्य महिला के लिए होने से समीकरण फिर बदल गए हैं। इसी तरह गोसाईंगंज और अमेठी नगर पंचायत में भी आरक्षण बदल गया है। गोसाईंगंज को ओबीसी से अनारक्षित, अमेठी को अनुसूचित जाति से महिला अनारक्षित किया गया है।


नई बनी नगर पंचायत मोहनलालगंज में पहली बार हो रहे चुनाव में नगर पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति महिला से बदलकर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है। यहां अनारक्षित सीट की संभावना जताई जा रही थी। नई बनी बंथरा नगर पंचायत में कोई फेरबदल नहीं हुआ है। यहां अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति महिला के लिए ही आरक्षित किया गया है।

महोना, बीकेटी, इटौंजा में बदलाव नहीं
आरक्षण की अधिसूचना के मुताबिक महोना, इटौंजा, बख्शी का तालाब में आरक्षण में कोई बदलाव नहीं हुआ है। महोना व इटौंजा की सीट अनारक्षित तो बख्शी का तालाब की सीट पूर्व की तरह ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई है। बीकेटी लखनऊ की सबसे बड़ी नगर पंचायत है।नगराम नगर पंचायत में भी कोई बदलाव नहीं है। यहां आरक्षण ओबीसी महिला ही बना रहेगा।

नगर पंचायतों में आरक्षण की स्थिति
नगर पंचायत आरक्षण

काकोरी ओबीसी
मोहनलालगंज अनुसूचित जाति
मलिहाबाद महिला अनारक्षित
महोना             अनारक्षित
इटौंजा             अनारक्षित
बख्शी का तालाब अनुसूचित जाति
नगराम महिला ओबीसी
गोसाईगंज             अनारक्षित
अमेठी महिला अनारक्षित
बंथरा              महिला अनुसूचित जाति

लखनऊ में महापौर पद लगातार दूसरी बार महिला के लिए आरक्षित
लखनऊ में इस बार भी कोई महिला ही शहर की सरताज बनेगी। सरकार ने महापौर के पद को महिला के लिए आरक्षित कर दिया है। ओबीसी आरक्षण को लेकर उठे विवाद से पहले बीते साल इस पद को अनारक्षित घोषित किया था, लेकिन अब सरकार ने अपना फैसला पलट दिया है। ऐसे में लगातार दूसरी बार किसी महिला के हाथ में नगर निगम की बागडोर होगी। साल 2017 के चुनाव में भी यह सीट महिला के लिए आरक्षित थी और भाजपा की संयुक्ता भाटिया को लखनऊ की पहली महिला महापौर बनने का गौरव हासिल हुआ था।पिछले पांच चुनावों में से चार में महापौर की सीट अनारक्षित रही है। साल 2017 के चुनाव में इसे महिला के लिए आरक्षित किया गया। साल 2022 में नगर निगम सीमा का विस्तार होने के बाद 88 गांव जुड़ने से आबादी बढ़ी है। इसके बाद जब आरक्षण तय हुआ तो उम्मीद थी कि महापौर की सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हो सकती है, लेकिन शासन ने इसे अनारक्षित प्रस्तावित कर दिया था। शासन की ओर से तय किया गया आरक्षण आपत्ति व सुझाव के बाद अंतिम तौर पर जारी किया जाता है। इस प्रक्रिया के पहले ही ओबीसी आरक्षण को लेकर विवाद उठ गया और मामला न्यायालय में चला गया था। इसके बाद शासन को ओबीसी आयोग भी बनाना पड़ा था, जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई और उसके बाद अब नए सिरे से महापौर सीट का आरक्षण जारी किया गया है। इसमें इसे सामान्य से बदलकर महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है।

दोबारा महिला सीट पर उठने लगे सवाल
शासन से महापौर सीट के लिए जारी आरक्षण पर छह अप्रैल तक आपत्ति और सुझाव दिए जा सकते हैं। इधर, शासन से आई सूची पर चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। इसमें कहा जा रहा है कि यदि आरक्षण रोस्टर के हिसाब से किया गया है तो फिर दोबारा महिला सीट कैसे हो सकती है। शासन ने अब तक यह नहीं बताया है कि ओबीसी आयोग ने क्या रिपोर्ट दी। उसे सार्वजनिक न करने से यह पता नहीं चल पा रहा है कि आरक्षण तय करने में किन नियमों व नीतियों को अपनाया गया।

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