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एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) में उठा तूफान अभी थमता नहीं दिख रहा है। वित्तीय अनियमितता, प्रशासनिक लापरवाही व कुप्रबंधन मामले में पहले कुलपति पीके मिश्रा फिर रजिस्ट्रार सचिन कुमार सिंह पर गाज गिरने के बाद मामला समाप्त नहीं हुआ है। अभी जांच का दायरा और बढ़ेगा, जिसमें विश्विद्यालय और इसके घटक संस्थान आईईटी के और अधिकारियों का भी कार्यवाई की जद में आना तय माना जा रहा है।
राजभवन की ओर से जिन शिकायतों की जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही मिलने पर विश्विद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्यवाई की गई है।उसमें नीचे के अधिकारियों की भी भूमिका कम नहीं है। इतना ही नहीं शासन की ओर से भी कुछ जांच करवाई जा रही हैं जिनकी रिपोर्ट भी जल्द ही आने की बात कही जा रही है। इसे लेकर विवि और आईईटी के अधिकारियों की धड़कने बढ़ी हुई हैं।
पीके मिश्रा और सचिन सिंह पर की गई कार्यवाई में प्रमुख रूप से टेक्निकल क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (टिकविप) के भुगतान का मामला रहा है। विश्विद्यालय जानकारो के अनुसार इस मामले की जांच पहले भी शासन से लेकर कई स्तर पर हो चुकी है। जिसमें उन्होंने अपनी संस्तुति भी दी है लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने सिर्फ भुगतान के बिंदु पर कार्यवाई की। बाकी इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाई होना बाकी है। इसी तरह हॉस्टल व अन्य मरम्मत के काम का इस्तिमेट किस आधार पर लगभग दोगुना किया गया। इसमें काफी काम होना बाकी है और आगे की कार्यवाई कैसे हो गई। विस्तृत जांच में इसके कारणों की भी पड़ताल होना तय है।
परीक्षा एजेंसी और फार्मेसी प्रवेश का मामला भी
जानकारी के अनुसार विश्विद्यालय में परीक्षा के बाद काम के लिए रखी गई एजेंसी और नई एजेसी के चयन को लेकर भी घालमेल सामने आया है। प्राविधिक शिक्षा मंत्री और राजभवन को भेजी गई शिकायत में इसका भी उल्लेख है। इसी तरह हाल ही में फार्मेसी में 60 की जगह 95 सीटों पर प्रवेश का मामला भी सामने आया।
विश्विद्यालय सूत्रों के अनुसार वित्त समिति में इस पर एक सदस्य ने आपत्ति भी की थी लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। सारी व्यवस्था 100 सीटो के सापेक्ष की गई, नियुक्ति भी की गई। जबकि अभी तक फार्मेसी काउंसिल से इसका एप्रूवल नहीं आया है। जब इसकी जांच का दायरा बढ़ेगा तो आगे और लोगों की भी जिम्मेदारी तय होगी।