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Lucknow News : त्रिस्तरीय ईकाई के आधार पर अब तय होंगे निकायों में सीटों का आरक्षण

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Thu, 30 Mar 2023 11:34 PM IST
सार

इस व्यवस्था के लागू होने से अब तीनों स्तर पर अलग-अलग श्रेणीवार निकायों में चक्रानुक्रम प्रणाली लागू होगी। उदाहरण के तौर पर नगर पालिका परिषदों में सीटों का आरक्षण मंडल स्तर तय किया जाएगा तो इनकी संख्या कम हो जाएगी। इससे आबादी की एकरूपता बनी रहेगी और आरक्षण बदलने के क्रम को ज्यादा बेहतर तरीके से अपनाया जा सकेगा।

Lucknow News: Reservation of seats in civic bodies will now be decided on the basis of three-tier unit
निकाय चुनाव - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

राज्य सरकार द्वारा गठित समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के आधार पर इस बार निकायों में सीटों के आरक्षण में पुरानी चक्रानुक्रम प्रणाली को शून्य मानते हुए आरक्षण तय किए हैं। इसके स्थान पर निकायों को त्रिस्तरीय ईकाई में बांटकर आरक्षण तय किया गया है। अब आगे होने वाले चुनाव में भी इसी आधार पर आरक्षण तय किए जाएंगे। निकायों के चुनाव में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए चक्रानुक्रम की प्रक्रिया तो जारी रहेगी, लेकिन इन्हें अब चक्रानुक्रम प्रणाली को काफी छोटा कर दिया गया है। अर्थात तीनों श्रेणी के निकायों में चक्रानुक्रम प्रणाली राज्य, मंडल व जिला स्तर पर लागू होगा। पहले यह सिर्फ राज्य स्तर पर लागू होता था ।



दरअसल अब तक प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों को एक यूनिट मानते हुए आरक्षण तय होते थे। चूंकि प्रदेश में निकायों की बड़ी संख्या (762) है। इस वजह से जिन निकायों में आरक्षित श्रेणी की आबादी कम है, वहां पर अक्सर सीटों के आरक्षण में बदलाव नहीं हो पाता था। इस वजह से कई शहरी निकाय ऐसे थे जहां पर एक जैसा ही आरक्षण कई चुनावों में बरकरार रहता था। आरक्षण में चक्रानुक्रम सही तरह से चल सके, इसके लिए आयोग ने नगर पालिका परिषदों को मंडल स्तर पर और नगर पंचायतों को जिला स्तर पर रोटेट करने का सुझाव दिया है।


इसके आधर पर ही निकायों को त्रिस्तरीय इकाई में बांटकर आरक्षण तय किया जाएगा। इस व्यवस्था के लागू होने से अब तीनों स्तर पर अलग-अलग श्रेणीवार निकायों में चक्रानुक्रम प्रणाली लागू होगी। उदाहरण के तौर पर नगर पालिका परिषदों में सीटों का आरक्षण मंडल स्तर तय किया जाएगा तो इनकी संख्या कम हो जाएगी। इससे आबादी की एकरूपता बनी रहेगी और आरक्षण बदलने के क्रम को ज्यादा बेहतर तरीके से अपनाया जा सकेगा। जबकि एक यूनिट मानकर राज्य स्तर पर यह व्यवस्था मुश्किल थी। नगर पंचायतों के मामले में ऐसा जिला स्तर पर किया जाएगा। इस व्यवस्था का असर फिलहाल दिख भी रहा है। पांच दिसंबर को जब लखनऊ में आरक्षण की स्थिति जारी की गई थी तो 10 नगर पंचायतों में से 9 आरक्षित श्रेणी में थीं। केवल दो सीटें जनरल के खाते में आई थीं। जबकि गुरुवार को जारी आरक्षण में एससी के लिए तीन, ओबीसी के लिए दो और अनारक्षित श्रेणी में चार सीटें आईं हैं।

सूत्रों के मुताबिक आयोग की इस सिफारिश के पीछे की असल वजह यह थी कि जिलों और मंडल की आबादी में कमोबेश आबादी की एकरूपता रहती है। ऐसे में जब चक्रानुक्रम व्यवस्था को लागू करने के लिए आबादी को घटते क्रम में सजाया जाएगा तो सभी निकायों की दावेदारी एक के बाद आना आसान होगा।

बढ़ी महिलाओं की हिस्सेदारी, ओबीसी को पहले जितनी
आयोग की रिपोर्ट के आधार पर नए सिरे से निकाय प्रमुखों का आरक्षण तैयार करने का सबसे ज्यादा लाभ अनुसूचित जाति और महिलाओं को मिला है। दोनों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या पांच दिसंबर को जारी अधिसूचना की तुलना में बढ़ी है। वहीं पांच दिसंबर को जारी प्रस्तावित आरक्षण के मुकाबले इस बार के प्रस्तावित आरक्षण में 269 सीटों के आरक्षण में बदलाव हुए हैं।

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