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How many patients saved in emergency feedback will also be taken from patients who are voluntarily discharged
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UP: इमरजेंसी में कितने मरीज बचाए, मेडिकल कॉलेजों को देना होगा हिसाब, ऐसे चिकित्सा व्यवस्था सुधारेगी योगी सरकार
चंद्रभान यादव, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: शाहरुख खान
Updated Mon, 05 Jun 2023 09:29 AM IST
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को आपातकालीन चिकित्सा केंद्र द्वारा बताया जाएगा कि कितने अति गंभीर मरीज आए और कितनों की जान बचा ली गई। फिर शासन की ओर से निर्धारित की गई टीम पत्रावलियों की जांच कर देखेगी कि संबंधित मरीज को बचाने के लिए डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भूमिका क्या रही? इसकी हर माह स्कोरिंग भी की जाएगी।
यूपी में चिकित्सा व्यवस्था सुधारने के लिए कदम
- फोटो : अमर उजाला
मेडिकल कॉलेजों की आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था सुधारने की नई रणनीति बनाई गई है। अब सभी कॉलेजों को अति गंभीर मरीजों की जान बचाने का हिसाब देना होगा। यदि तीमारदार अपनी मर्जी से डिस्चार्ज (लामा) कराकर मरीज ले जाता है तो उसकी भी समीक्षा होगी। इसी आधार पर आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था की स्कोरिंग होगी।
प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के आपातकालीन चिकित्सा केंद्र (इमरजेंसी) में हर दिन करीब पांच हजार मरीज आते हैं। जिला अस्पतालों व कॉलेजों से रेफर होने वाले करीब पांच से सात सौ मरीज लखनऊ के एसजीपीजीआई, केजीएमयू, लोहिया संस्थान के ट्रामा सेंटर पहुंचते हैं।
यहां पर लोड कम करने व मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी सेवा सुधारने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नई रणनीति अपनाई है। इसमें नए कॉलेजों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि नए कॉलेजों की इमरजेंसी में मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलने से लोगों का विश्वास बढ़ेगा।
ऐसे में सभी मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी में मौजूद सुविधाओं, डॉक्टर व अन्य स्टाफ, सामान्य व अति गंभीर मरीजों, दवा की व्यवस्था, भर्ती होने के बाद दम तोड़ने वालों की संख्या और भर्ती के बाद उपचार शुरू होने में लगे वक्त का हर दिन ब्योरा तैयार किया जाएगा।
व्यवस्था सुधार का प्रयास
स्कोरिंग व्यवस्था से कॉलेजों की आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था में सुधार होगा। इससे दूर दराज के जिलों के मरीजों को लखनऊ नहीं आना पड़ेगा। डॉक्टर व अन्य स्टॉफ की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। जहां कमी होगी उसे सुधारा जाएगा। -आलोक कुमार, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग।
मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी में लागू होगी स्कोरिंग व्यवस्था
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को आपातकालीन चिकित्सा केंद्र द्वारा बताया जाएगा कि कितने अति गंभीर मरीज आए और कितनों की जान बचा ली गई। फिर शासन की ओर से निर्धारित की गई टीम पत्रावलियों की जांच कर देखेगी कि संबंधित मरीज को बचाने के लिए डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भूमिका क्या रही? इसकी हर माह स्कोरिंग भी की जाएगी।
मर्जी से डिस्चार्ज वाले मरीजों से लेंगे फीडबैक
इमरजेंसी स्कोर के आधार पर संबंधित कॉलेज के आपातकालीन चिकित्सा केंद्र की व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा। जहां की टीम लगातार बेहतर कार्य करेगी, उसे सम्मानित भी किया किया जाएगा। वहीं, लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस (लामा) यानी जो तीमारदार अपनी मर्जी से मरीज डिस्चार्ज कराकर ले जाते हैं, उनसे पूरा विवरण लिखवाया जाएगा।
फिर उनके मोबाइल नंबर पर कॉल करके डिस्चार्ज कराने के कारणों की जानकारी ली जाएगी। तीमारदार से मिले फीडबैक के आधार पर व्यवस्था में सुधार कराया जाएगा। अभी डिस्चार्ज फाइल पर सिर्फ लामा लिखवाया जाता है, लेकिन फीडबैक नहीं लिया जाता है। ऐसे मामलों में आए दिन चिकिस्तकों और पैरामेडिकल स्टाफ पर दबाव बनाने के आरोप लगते हैं।
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