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Lucknow: तीसरे ट्रॉमा सेंटर पर ताला, चौथे के निर्माण की मांगी मंजूरी, डॉक्टरों की तैनाती की मांग नहीं हुई पूरी

माई सिटी रिपोर्टर, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Sun, 28 May 2023 02:20 PM IST
सार

यूपी के लोकबंधु अस्पताल में चौथा ट्रॉमा सेंटर बनाने की तैयारी चल रही है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के पास न्यूरो सर्जन तक नहीं हैं। केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पर सबसे अधिक मरीजों का लोड है। यहां पर हर दिन करीब 250-280 मरीज इलाज के लिए आते हैं। 

Fourth trauma center is being built in Lokbandhu hospital in lucknow.
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : amar ujala

विस्तार
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लखनऊ शहर में नए ट्रॉमा सेंटर के नाम पर खूब लापरवाही हो रही है। तीसरा ट्रॉमा सेंटर अभी तक शुरू नहीं हो पाया और अफसरों ने चौथे की कवायद शुरू कर दी है। अहम बात यह है स्वास्थ्य विभाग के पास न्यूरो सर्जन तक नहीं हैं। ऐसे में बिना न्यूरो सर्जन ट्रॉमा सेंटर का संचालन आसान नहीं होगा। गंभीर मरीजों को इलाज के लिए केजीएमयू की ही दौड़ लगानी होगी।



लोकबंधु अस्पताल में प्रधानमंत्री जन विकास योजना के तहत ट्रॉमा सेंटर शुरू होगा। इसके लिए खाका तैयार हो गया है। तीन सौ बेड की क्षमता वाले अस्पताल को लोहिया की तर्ज पर विकसित करने की तैयारी है। अस्पताल के पार्किंग एरिया वाले क्षेत्र में ट्रॉमा सेंटर निर्माण के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। करीब 50 बेड का ट्रॉमा सेंटर बनेगा। अस्पताल के तीसरे तल पर डायग्नोस्टिक ब्लॉक बनेगा। यहां एमआरआई, सीटी, अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की सुविधा रहेगी। अफसरों का कहना है कि सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की पहल पर यहां ट्रॉमा सेंटर बनेगा। अस्पताल के आठ-दस किमी के दायरे में कोई ट्रॉमा सेंटर न होने से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। हालांकि लखनऊ में न्यूरो सर्जन विशेषज्ञ का संकट है।


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ट्रॉमा की बिल्डिंग तैयार, तीन माह से हैंडओवर का इंतजार
जानकीपुरम ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को इलाज के लिए अभी और इंतजार करना होगा। इसकी वजह यह है सीएमओ के यहां से डॉक्टर-मैनपावर की मांग भेजी गई थी, जो अभी पूरी नहीं हुई। ऐसे में विभाग बिल्डिंग का हैंडओवर तक नहीं ले रहा है। कार्यदायी संस्था विभाग को हैंडओवर के लिए लगातार पत्र भेज रही है। सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक, ट्रॉमा सेंटर का निर्माण पूरा हो चुका है। इसे जल्द से जल्द शुरू करने की दिशा में काम हो रहा है। ट्रॉमा संचालन के लिए ऑर्थो, जनरल सर्जन, न्यूरोए डेंटल, मेडिसिन के डॉक्टर तैनात किए जाने के लिए पत्र भेजा गया है। इसके अलावा जांचों के लिए सीटी स्कैन, एक्सरे, पैथोलॉजी जांच की सुविधा भी मिलेगी। आईसीयू और जनरल बेड की सुविधा भी होगी ताकि गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सके।

केजीएमयू ट्रॉमा ओवरलोड
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पर सबसे अधिक मरीजों का लोड है। यहां पर हर दिन करीब 250-280 मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसमें 90-100 मरीजों को भर्ती किया जाता है। सामान्य मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है ताकि अति गंभीर मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा सके।
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उधर, पीजीआई एपेक्स ट्रॉमा में 72 घंटे पुरानी इंजरी वाले मरीजों को भर्ती नहीं लिया जाता है। बेड कम होने से मरीज सीधे केजीएमयू ट्रॉमा पहुंच जाते हैं। पीजीआई प्रशासन का दावा है एपेक्स ट्रॉमा में बेड की क्षमता बढ़ा दी गई है। अब यहां पर 60 बेड पर मरीजों की भर्ती हो रही है। आगामी एक माह में विस्तार करके 90 बेड किया जाएगा।

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