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प्रदेश के आयुष कॉलेजों में फर्जी तरीके से 891 छात्रों का दाखिला करने के मामले की जांच अब सीबीआई करेगी। हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को इसका आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने आयुर्वेद निदेशालय के प्रभारी डॉ. उमाकांत के उस बयान का भी संज्ञान लिया है, जिसमें वर्ष 2019 में रिक्त सीटों पर दाखिला करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश को जल्दी लागू करने के लिए तत्कालीन आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी को 65 लाख रुपये रिश्वत देने का दावा किया गया है। साथ ही, तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, आयुष प्रशांत त्रिवेदी ने भी 25 लाख रुपये लिए थे। इस मामले में हाईकोर्ट के जज राजीव सिंह ने मिर्जापुर की संतुष्टि आयुर्वेद कॉलेज की डॉ. रितु गर्ग को सशर्त जमानत भी दी है।
हाईकोर्ट ने डॉ. उमाकांत के बयान का संज्ञान लिया है, जो उन्होंने एसटीएफ के समक्ष दिया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि वर्ष 2019 में उच्चतम न्यायालय ने कुछ कॉलेजों की तरफ से दायर याचिका पर रिक्त सीटों को भरने का आदेश दिया था। सहारनपुर के जामिया तिब्बिया यूनानी कॉलेज के डॉ. अनवर सईद और मुजफ्फरनगर के भारत आयुर्वेद कॉलेज के डॉ. अकरम आदेश लेकर निदेशालय आए, जिसे निदेशक डॉ. एसएन सिंह को पढ़ाया गया। दोनों ने कहा कि इस आदेश का अनुपालन जल्द कराने पर सारे कॉलेज वाले मिलकर स्नातक के लिए 1.10 करोड़ और परास्नातक के लिए 50 लाख रुपये देंगे।
इस पर निदेशक और मैंने एडवांस 10 लाख रुपये लाने को कहा, ताकि उसे मंत्री धर्म सिंह सैनी के पीएस राजकुमार दिवाकर के जरिए पहुंचाकर बात की जा सके। निदेशक ने मुझे इस आदेश की कॉपी शासन भेजने को कहा। शाम को राजकुमार दिवाकर ने मंत्री से मिलने के लिए बुलाया, जिसके बाद हमने मंत्री को सारी बात बताई। कुछ दिन बाद डॉ. सईद और डॉ. अकरम ने लखनऊ के श्रीराम टॉवर के पास बैग में दस लाख रुपये दिए। इसमें से मैंने दो लाख, राजकुमार दिवाकर ने दो लाख और निदेशक ने छह लाख रुपये बांट लिए। कुछ दिन बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश का अनुपालन हो गया। कॉलेजों में एडमिशन लेने वालों की सूची निदेशालय आई, जिसका सत्यापन काउंसलिंग के सदस्य संयुक्त सचिव लक्ष्मण सिंह, प्रो. पीसी सक्सेना, निदेशक एसएन सिंह व मेरे द्वारा करके अनुमोदन के लिए मंत्री के पास भेजा गया। इसके बाद अकरम और सईद ने एक करोड़ रुपये और 50 लाख रुपये दिए थे।
मंत्री के घर पर पहुंचाई रकम
एक करोड़ रुपये आने के बाद उसमें से 35 लाख रुपये निदेशक एसएन सिंह के साथ मंत्री धर्म सिंह सैनी के 16 गौतमपल्ली स्थित आवास पर जाकर दिए। बाकी 25 लाख रुपये अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी को एसएन सिंह ने उनके आवास पर जाकर दिया। वहीं अनुभाग अधिकारी विष्णु श्रीवास्तव को एक लाख रुपये दिए गए। दोबारा अकरम और सईद जब 50 लाख रुपये लेकर आए तो उसमें से 30 लाख रुपये मंत्री धर्म सिंह सैनी, निदेशक पाठ¬क्रम एवं मूल्यांकन प्रो. सुरेश चंद्र ने आठ लाख रुपये, प्रो. पीसी सक्सेना ने दो लाख रुपये, एसएन सिंह ने पांच लाख रुपये और मैंने पांच लाख रुपये लिए थे।
दो आरोपियों ने की बयान की पुष्टि
डॉ. उमाकांत के इस बयान की डॉ. एसएन सिंह और कुलदीप सिंह वर्मा ने भी पुष्टि की थी। हाईकोर्ट ने मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता की जांच के लिए पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया है। उन्होंने एसटीएफ के विवेचक को केस से संबंधित सारे दस्तावेज सीबीआई के निदेशक के सुपुर्द करने को कहा है। साथ ही, हाईकोर्ट के वरिष्ठ रजिस्ट्रार से आदेश के बारे में सीबीआई निदेशक, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को अवगत कराने के निर्देश दिए है। वहीं, सीबीआई को आगामी एक अगस्त को शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।