न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Updated Fri, 15 Nov 2019 05:48 PM IST
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने जफरयाब जीलानी और असदुद्दीन ओवैसी से अयोध्या मामले में भड़काऊ बयान देकर नफरत की राजनीति के विष बीज न बोने की अपील की है। मंच की महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश संयोजक डॉ. शबाना आजमी ने बृहस्पतिवार को संयुक्त बयान जारी कर कहाकि इस मामले में न मुस्लिम हारा और न ही हिंदू।
अगर कोई हारा है तो है वह जीलानी साहब की वकालत, ओवैसी की नफरत और कांग्रेस की फूट डालो की राजनीति। उन्होंने कहा कि जब इकबाल अंसारी सहित प्रमुख मुस्लिम पक्षकारों ने सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मानने की बात कही है तो अब इस मामले में आग लगाने की कोशिश करने वाले मुसलमानों के हितैषी नहीं हैं।
इनसे प्रार्थना है कि काफी वर्षों बाद आए फैसले से इस मुद्दे पर तनाव खत्म हुआ है। इसलिए शांति बनी रहने दें। सरकार मंदिर की तरह मस्जिद के निर्माण के लिए भी जमीन देने से पहले ट्रस्ट का गठन करें, जिससे मस्जिद को लेकर कोई भी अपनी-अपनी दावेदारी न कर सके।
उन्होंने मांग की की कि मस्जिद को दी जा रही जमीन में भले ही थोड़ी बढ़ोतरी करनी पड़े, पर सरकार को उस पर पैगाम-ए-अमन एवं हुब्बल वतनी विश्वविद्यालय और कौशल विकास केंद्र की स्थापना भी करनी चाहिए ताकि मुस्लिम समाज को तरक्की मिल सके।
डॉ. आजमी ने कहा कि ओवैसी मस्जिद के लिए सरकार से मिलने वाली जमीन को खैरात बताकर न लेने की बात कहकर सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना कर रहे हैं। मुल्क के मुसलमान ओवैसी के गुलाम नहीं है। वैसे भी यह मामला उत्तर प्रदेश के आम मुसलमानों से जुड़ा है, जिन्होंने फैसले को खुले दिल से स्वीकार किया है। बयान पर मौलाना तौकीर नदवी, सैयद हसन कौसर और अंसार अहमद के भी हस्ताक्षर हैं।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने जफरयाब जीलानी और असदुद्दीन ओवैसी से अयोध्या मामले में भड़काऊ बयान देकर नफरत की राजनीति के विष बीज न बोने की अपील की है। मंच की महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश संयोजक डॉ. शबाना आजमी ने बृहस्पतिवार को संयुक्त बयान जारी कर कहाकि इस मामले में न मुस्लिम हारा और न ही हिंदू।
अगर कोई हारा है तो है वह जीलानी साहब की वकालत, ओवैसी की नफरत और कांग्रेस की फूट डालो की राजनीति। उन्होंने कहा कि जब इकबाल अंसारी सहित प्रमुख मुस्लिम पक्षकारों ने सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मानने की बात कही है तो अब इस मामले में आग लगाने की कोशिश करने वाले मुसलमानों के हितैषी नहीं हैं।
इनसे प्रार्थना है कि काफी वर्षों बाद आए फैसले से इस मुद्दे पर तनाव खत्म हुआ है। इसलिए शांति बनी रहने दें। सरकार मंदिर की तरह मस्जिद के निर्माण के लिए भी जमीन देने से पहले ट्रस्ट का गठन करें, जिससे मस्जिद को लेकर कोई भी अपनी-अपनी दावेदारी न कर सके।
उन्होंने मांग की की कि मस्जिद को दी जा रही जमीन में भले ही थोड़ी बढ़ोतरी करनी पड़े, पर सरकार को उस पर पैगाम-ए-अमन एवं हुब्बल वतनी विश्वविद्यालय और कौशल विकास केंद्र की स्थापना भी करनी चाहिए ताकि मुस्लिम समाज को तरक्की मिल सके।
सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना कर रहे ओवैसी
डॉ. आजमी ने कहा कि ओवैसी मस्जिद के लिए सरकार से मिलने वाली जमीन को खैरात बताकर न लेने की बात कहकर सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना कर रहे हैं। मुल्क के मुसलमान ओवैसी के गुलाम नहीं है। वैसे भी यह मामला उत्तर प्रदेश के आम मुसलमानों से जुड़ा है, जिन्होंने फैसले को खुले दिल से स्वीकार किया है। बयान पर मौलाना तौकीर नदवी, सैयद हसन कौसर और अंसार अहमद के भी हस्ताक्षर हैं।