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Atiq Ahmad : 45 साल तक कानून को चकमा देता रहा अतीक, अब सजा मिलने का दौर होगा तेज, 1979 में की थी पहली हत्या

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Wed, 29 Mar 2023 12:02 AM IST
सार

माफिया अतीक अहमद की जरायम की दुनिया का अंत करने के लिए उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों की अदालत में पैरवी तेज कर दी गयी है। अतीक और उसके गैंग के सदस्यों के खिलाफ अदालत में चल रहे पांच मुकदमे अभियोजन की प्राथमिकता की सूची में आ चुके हैं।

Atiq Ahmad kept dodging the law for 45 years, now the time of getting punishment will be fast
अतीक अहमद

विस्तार

कानून को 45 साल तक कैसे चकमा दिया जा सकता है, ये माफिया अतीक अहमद ने साबित कर दिया। मंगलवार को पहली बार अतीक को सजा हुई तो उसकी 45 साल पुरानी जरायम की बुलंद इमारत दरक गई। अब इस इमारत के जमीदोंज होने की बारी है जो अतीक के खिलाफ दर्ज मुकदमों में लगातार सजा से होगी। करीब 45 साल पहले तमंचे से इलाहाबाद के खुल्दाबाद इलाके में मोहम्मद गुलाम को मौत की नींद सुलाने वाले अतीक का राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल और दो पुलिसकर्मियों की हत्या की साजिश रचने का दुस्साहस भारी पड़ गया।



अतीक की जरायम की दुनिया का अंत करने के लिए उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों की अदालत में पैरवी तेज कर दी गयी है। अतीक और उसके गैंग के सदस्यों के खिलाफ अदालत में चल रहे पांच मुकदमे अभियोजन की प्राथमिकता की सूची में आ चुके हैं। इनमें 19 जनवरी 1996 में प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में अशोक कुमार साहू की हत्या का मामला शामिल है जिसमें अतीक और अशरफ भी आरोपी हैं। इसी तरह वर्ष 2002 में जमीन के विवाद में नसीम अहमद की हत्या के मामले की पैरवी भी तेज कर दी गयी है। साथ ही, उन दस मामलों की भी दोबारा समीक्षा हो रही है, जिनमें अतीक व उसके साथी दोषमुक्त हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि अतीक के खिलाफ वर्ष 1992 से अब तक सौ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। 


बीते एक साल में दर्ज हुए पांच मुकदमों की पुलिस विवेचना अभी जारी है जिसमें उमेश पाल हत्याकांड भी शामिल है। अतीक पर अब तक हत्या के 12 मुकदमे दर्ज रहे है। प्रयागराज के खुल्दाबाद में वर्ष 1984, कौशांबी के पिपरी थाने में वर्ष 1991, करैली में वर्ष 2001 और कर्नलगंज में वर्ष 2002 में दर्ज हत्या के मुकदमों में वह दोषमुक्त हो चुका है। वहीं वर्ष 2005 में धूमनगंज थाने में दर्ज मुकदमा (राजूपाल हत्याकांड) और वर्ष 2002 में खुल्दाबाद थाने में दर्ज मुकदमे (नसीम अहमद हत्याकांड) में साक्ष्य प्रस्तुत किए जा चुके हैं। वर्ष 1996 में सिविल लांइस इलाके में दर्ज मुकदमा हाजिरी में लगा है। वहीं 1995 में कर्नलगंज थाने में दर्ज हत्या के मामले में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है।

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