न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: पंकज श्रीवास्तव
Updated Tue, 03 Nov 2020 05:02 PM IST
जन्मजात विकृति की शिकार युवती की सर्जरी कर सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उसे राहत दी है। अब युवती पूरी तरह स्वस्थ है। फैजाबाद निवासी 18 वर्षीय युवती साक्षी सिंह को 5 साल से बायीं तरफ पेट और पीठ में दर्द की शिकायत थी। साथ ही ल्यूकोरिया की भी शिकायत थी। स्थानीय चिकित्सकों में सिस्ट बता कर सर्जरी की सलाह दी।
परिवार ने उसे सहारा हॉस्पिटल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋचा गंगवार को दिखाया। यहां एमआरआई, सीटी स्कैन और ब्लड संबंधी जांच के बाद पता चला कि युवती के शरीर में दो यूट्रस और 700 सीसी का सिस्ट था। उसकी एक बच्चेदानी (दाईं तरफ की) तो सामान्य थी, लेकिन बाईं तरफ की बच्चेदानी का रास्ता नहीं बना था। रक्तस्राव ने उसी के अंदर जमा होकर एक गांठ का रूप ले लिया था।
साथ ही युवती के शरीर में केवल एक ही किडनी थी। रेडियोलॉजिस्ट डॉ. नितिन अरुण दीक्षित ने बताया कि इस तरह के केस दुनिया भर में बहुत कम पाए जाते हैं। इसे हर लाइन वर्रनर वुन्डरलिंच सिंड्रोम कहते हैं। ज्यादातर महिलाओं में जन्म से पूर्व दो बच्चेदानियां होती हैं, लेकिन धीरे-धीरे जैसे विकास होता है तो दोनों के बीच की झिल्ली हट जाती है और वह एक बच्चेदानी का आकार ले लेती है।
डॉ. ऋचा ने बताया कि बिना चीरा लगाए दूरबीन (लैप्रोस्कोपी और हिस्टरोस्कोपी) विधि से युवती की बच्चेदानी का रास्ता बनाया और साथ ही ट्यूब और ओवरी मे बन गई गांठ का भी ऑपरेशन किया।
जन्मजात विकृति की शिकार युवती की सर्जरी कर सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उसे राहत दी है। अब युवती पूरी तरह स्वस्थ है। फैजाबाद निवासी 18 वर्षीय युवती साक्षी सिंह को 5 साल से बायीं तरफ पेट और पीठ में दर्द की शिकायत थी। साथ ही ल्यूकोरिया की भी शिकायत थी। स्थानीय चिकित्सकों में सिस्ट बता कर सर्जरी की सलाह दी।
परिवार ने उसे सहारा हॉस्पिटल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋचा गंगवार को दिखाया। यहां एमआरआई, सीटी स्कैन और ब्लड संबंधी जांच के बाद पता चला कि युवती के शरीर में दो यूट्रस और 700 सीसी का सिस्ट था। उसकी एक बच्चेदानी (दाईं तरफ की) तो सामान्य थी, लेकिन बाईं तरफ की बच्चेदानी का रास्ता नहीं बना था। रक्तस्राव ने उसी के अंदर जमा होकर एक गांठ का रूप ले लिया था।