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शोधकर्ताओं ने चेताया: जितनी कम उम्र में बच्चों के हाथ में आएगा मोबाइल, मानसिक रोगों का खतरा उतना अधिक

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Thu, 08 Jun 2023 05:30 PM IST
Kids Using Smartphones May Cause Mental Health Issues know how smartphones affect our lives
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मोबाइल फोन्स के अधिक इस्तेमाल को कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़कर देखा जाता रहा है। यह न सिर्फ आपके स्क्रीन टाइम को बढ़ा देता है साथ ही इससे निकलने वाली नीली रोशनी को आंखों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक बताया गया है। शोधकर्ता कहते हैं, वैसे तो मोबाइल या किसी भी प्रकार के स्क्रीन वाले गैजेट्स सभी उम्र के लोगों के लिए हानिकारक हैं, पर बच्चों की सेहत पर इसके गंभीर दुष्प्रभाव देखे गए हैं।

अध्ययनों के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि आप बच्चों को कम उम्र में ही मोबाइल फोन दे रहे हैं, तो यह उनके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। जितनी कम उम्र में बच्चों के हाथ में मोबाइल आएगा, मानसिक रोगों का खतरा उतना अधिक हो सकता है।

मोबाइल के इस्तेमाल के कारण बच्चों में हृदय रोग और डायबिटीज जैसी समस्याओं का जोखिम भी बढ़ता देखा जा रहा है।
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कम उम्र में मोबाइल फोन्स बहुत गंभीर समस्याकारक

सैपियन लैब्स की रिपोर्ट में जेनरेशन Z (18-24 वर्ष की आयु) वाले 27,969 लोगों के डेटा का इस्तेमाल किया गया। इसमें बचपन में स्मार्टफोन के उपयोग और वर्तमान मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंधों के बारे में पता लगाने की कोशिश की गई। इसके अनुसार जिन लोगों ने बहुत ही कम उम्र से मोबाइल पर अधिक समय बिताना शुरू कर दिया था, उनमें मानसिक विकास और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कतें अधिक देखी गई हैं।

सैपियन लैब्स के संस्थापक और मुख्य वैज्ञानिक, डॉ तारा त्यागराजन कहते हैं, यह "पहली पीढ़ी है जो मोबाइल जैसी तकनीक के साथ किशोरावस्था से गुजरी है।
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अध्ययन में क्या पता चला?

रिपोर्ट के मुताबिक जिन पुरुषों ने 6 साल की उम्र में पहली बार स्मार्टफोन प्राप्त किया उनमें 18 साल की उम्र में स्मार्टफोन का इस्तेमाल शुरू करने वालों की तुलना में मानसिक विकारों के विकास का खतरा 6 फीसदी और महिलाओं में यह जोखिम करीब 20 फीसदी अधिक था। प्रोफेसर त्यागराजन कहते हैं, जितनी जल्दी आपके बच्चे के हाथ में स्मार्टफोन होगा, उतनी ही अधिक आशंका है कि वयस्कावस्था में उसकी मानसिक स्थिति खराब हो सकती है।
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सीखने-परेशानियों को डील करने की क्षमता हो रही कम

शोध के अनुसार, बच्चे अगर रोजाना 5 से 8 घंटे ऑनलाइन बिताते हैं तो यह साल में 2,950 घंटे के बराबर हो सकता है। स्मार्टफोन से पहले बच्चों यह समय परिवार और दोस्तों के साथ बीतता था। ऑनलाइन गेम्स बच्चों के दिमाग को काफी उलझन में डाल रहे हैं, जो विकसित मस्तिष्क के लिए प्रतिकूल प्रभावों वाला है। इसके अलावा मोबाइल पर अधिक समय बिताना बच्चों के सामाजिक व्यवहार को भी जटिल बनाता है, जो उनमें सीखने और परेशानियों को डील करने की क्षमता को भी कम करने वाली स्थिति हो सकती है। 
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क्या कहते हैं शोधकर्ता?

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में बाल और किशोर मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख बेंजामिन मैक्सवेल कहते हैं, हमारे पास ऐसे किशोर अधिक आ रहे हैं, जो कम उम्र से ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते रहे हैं और अब मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से परेशान हैं। गंभीर साइबरबुलिंग से लेकर डिप्रेशन तक के मामले किशोरों की क्वालिटी ऑफ लाइफ खराब कर रहे हैं। 

इन-पर्सन सोशल कनेक्शन सभी के लिए आवश्यक है, मोबाइल फोन्स ने इसे खत्म सा कर दिया है। यह बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अच्छी आदत नहीं है। माता-पिता को अगर लगता है कि कम उम्र में बच्चे के हाथ में मोबाइल देकर आप फ्री महसूस कर रहे हैं, या कम उम्र में ही बच्चा मोबाइल आपसे बेहतर चला रहा है तो सावधान हो जाइए यह एडवांस होने का नहीं बीमारी का संकेतक है।
 

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स्रोत और संदर्भ
Study Out from Sapien Labs Links Age of First Smartphone to Mental Wellbeing

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