आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

विस्साव शिंबोर्स्का की कविता- सौगात में कुछ नहीं मिलता

कविता
                
                                                                                 
                            सौगात में कुछ नहीं मिलता 
                                                                                                

जो भी है कर्ज़ है 
सिर से पैर तक कर्ज़ में डूबे हैं हम 
अपने अस्तित्व का कर्ज़ चुकाना है 
स्वत्व देकर 
ज़िंदगी के लिए जान देनी होगी। 

यहां यही व्यवस्था है 
दिल लौटाना होगा 
और जिगर भी 
हाथ-पैर की उंगलियां तक 
वापिस चली जाएंगी 

अब तुम चाहो तो भी यह करारनामा 
फाड़कर फेंक नहीं सकते 
चुकाने ही होंगे कर्ज़ 
चाहे अपनी खाल बेचकर चुकाओ  आगे पढ़ें

3 महीने पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
X
Jobs

सभी नौकरियों के बारे में जानने के लिए अभी डाउनलोड करें अमर उजाला ऐप

Download App Now