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बर्तोल ब्रेख्त: मैं जानता हूं, मेरी जान...

बर्तोल ब्रेख्त
                
                                                                                 
                            बर्तोल ब्रेख्त 20 वीं शताब्दी के सबसे प्रतिष्ठित कवि, नाटककार और थियेटर निर्देशक हैं।  ब्रेख्त का जन्म 10 फरवरी 1898 को जर्मनी के बावेरिया प्रांत में ऑग्सबर्ग कस्बे में हुआ। ब्रेख्त की कविताओं, कहानियों और नाटकों का दुनिया भर की भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
                                                                                                


तेरह भजन (प्रेमिका का गीत) 

मैं जानता हूँ, मेरी जान, मेरी बीहड़ ज़िन्दगी की वज़ह से मेरे बाल
झड़ रहे हैं और मुझे पत्थरों पर सोना पड़ता है। तुम मुझे ठर्रा पीते देखती
हो और मैं हवा में उघाड़े बदन घूमता-फिरता हूँ । 

लेकिन एक समय था, मेरी जान, जब मैं निष्पाप था । 

मेरी एक औरत थी जो मुझसे ज़्यादा ताक़तवर थी, जैसे घास बैल से 
ज़्यादा ताक़तवर होती है - वह फिर सीधी तन जाती है । 

वह जानती थी कि मैं दुष्ट हूँ और मुझसे प्यार करती थी । 

उसने कभी नहीं पूछा वह रास्ता वहाँ जाता था और उसका रास्ता था
और शायद वह नीचे को उतरता था। जब वह मुझे अपनी देह
सौंपती तो कहती-बस। और उसकी देह मेरी देह बन जाती। 

अब वह कहीं नहीं है। वर्षा के बाद बादल सरीखी वह ग़ायब हो गई ।
मैंने उसे छोड़ दिया और वह नीचे गिरती चली गई क्योंकि 
वही उसका रास्ता था । 

लेकिन कभी-कभार रात को जब तुम मुझे शराब पीते देखती हो,
मुझे उसका चेहरा नज़र आता है - हवा में विवर्ण, मज़बूत और मेरी तरफ़ मुख़ातिब
और मैं हवा में झुक कर उसे सलाम करता हूँ । 

- बर्तोल ब्रेख्त, अनुवाद : नीलाभ 

साभार - कविता कोश 
1 month ago

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