Social Media Poetry: खुद की नज़रों में मत गिर, आँधी-तूफ़ानों में घिर
राज-सभा जाने से बच।
पुरस्कार पाने से बच ।।
दाग़-ए-दिल धोने से बच ।
सम्मानित होने से बच ।।
खुद की नज़रों में मत गिर ।
आँधी-तूफ़ानों में घिर ।।
छाया में रहने से बच ।
धारा में बहने से बच ।।
कुछ मौलिक भी रचना सीख ।
लोभ-लाभ से बचना सीख ।।
सत्ता का प्रतिरोध भी कर ।
सच के हित में शोध भी कर ।।
खड़ा समान्तर रहना सीख ।
कुछ-कुछ कटु भी कहना सीख ।।
अमृत ही मत पीना सीख ।
विष पी कर भी जीना सीख ।।
अपने जन का दु:ख भी देख ।
श्रम का पीड़ित मुख भी देख ।।
शोषित-वंचित जन से मिल ।
सुंदर-सच्चे मन से मिल ।।
दृढ़-संकल्पित बनना सीख ।
ज़ुल्म के आगे तनना सीख ।।
तब होगी कवि की पहचान ।
जनता देगी सच्चा मान ।।
साभार: कैलाश मनहर की फेसबुक वाल से
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1 month ago
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