गीली आंखों में रहकर सब सपने सील गये।
आशाओं के चक्रव्यूह ने
कुछ ऐसे उलझाया,
सारे कष्ट लगे मीठे से
जब जिसको अपनाया,
बिन पत्थर देखे हम जाने कितने मील गये ।
सबने अपने फर्ज़ निभाये
सबने हमको चाहा,
एक हाथ अंगारे लाये
एक हाथ में फाहा,
हम ही थे जो सदा प्यास तक लेकर झील गये। आगे पढ़ें
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