कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे
- जौन एलिया
चुप चुप क्यूँ रहते हो 'नासिर'
ये क्या रोग लगा रक्खा है
- नासिर काज़मी
कम्प्यूटरों से ग़ज़लें लिखेंगे 'बशीर-बद्र'
'ग़ालिब' को भूल जाएगी इक्कीसवीं सदी
- बशीर बद्र
कब लौटा है बहता पानी बिछड़ा साजन रूठा दोस्त
हम ने उस को अपना जाना जब तक हाथ में दामाँ था
- इब्न-ए-इंशा
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4 months ago
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