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Sahir Ludhianvi Nazm: साहिर लुधियानवी की नज़्म 'मेरी नाकाम मोहब्बत की कहानी मत छेड़'

sahir ludhianvi nazm meri naakaam mohabbat ki kahaani mat chhedh
                
                                                                                 
                            

मेरी नाकाम मोहब्बत की कहानी मत छेड़


अपनी मायूस उमंगों का फ़साना न सुना
ज़िंदगी तल्ख़ सही ज़हर सही सम ही सही
दर्द ओ आज़ार सही जब्र सही ग़म ही सही
लेकिन इस दर्द-ओ-ग़म ओ जब्र की वुसअत को तो देख
ज़ुल्म की छाँव में दम तोड़ती ख़िल्क़त को तो देख
अपनी मायूस उमंगों का फ़साना न सुना
मेरी नाकाम मोहब्बत की कहानी मत छेड़
जल्सा-गाहों में ये दहशत-ज़दा सहमे अम्बोह
रहगुज़ारों पे फ़लाकत-ज़दा लोगों के गिरोह
भूक और प्यास से पज़-मुर्दा सियह-फ़ाम ज़मीं
तीरा-ओ-तार मकाँ मुफ़लिस ओ बीमार मकीं
नौ-ए-इंसाँ में ये सरमाया ओ मेहनत का तज़ाद
अम्न ओ तहज़ीब के परचम तले क़ौमों का फ़साद
हर तरफ़ आतिश ओ आहन का ये सैलाब-ए-आज़ीम
नित-नए तर्ज़ पे होती हुई दुनिया तक़्सीम
लहलहाते हुए खेतों पे जवानी का समाँ
और दहक़ान के छप्पर में न बत्ती न धुआँ
ये फ़लक-बोस मिलें दिलकश ओ सीमीं बाज़ार
ये ग़लाज़त पे झपटते हुए भूके नादार
दूर साहिल पे वो शफ़्फ़ाफ़ मकानों की क़तार
सरसराते हुए पर्दों में सिमटते गुलज़ार
दर-ओ-दीवार पे अनवार का सैलाब-ए-रवाँ
जैसे इक शायर-ए-मदहोश के ख़्वाबों का जहाँ
ये सभी क्यूँ है ये क्या है मुझे कुछ सोचने दे
कौन इंसाँ का ख़ुदा है मुझे कुछ सोचने दे
अपनी मायूस उमंगों का फ़साना न सुना
मेरी नाकाम मोहब्बत की कहानी मत छेड़

2 months ago

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